स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभारी आलीशान होटलों में ले रहे हैं बैठक, फिजूलखर्ची की आड़ में हो रही है कमीशन खोरी, शासकीय भवनों का उपयोग नहीं
दुर्ग (चिन्तक)। प्रदेश के दीगर जिलों में केन्द्र व राज्य शासन द्वारा संचालित स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन भले ही बेहतर ढंग से हो रहा हो लेकिन दुर्ग जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन में शासन के पैसों की बर्बादी का खेल चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसकी आड़ में जमकर कमीशन खोरी की जा रही है।
जानकारी के अनुसार जिले में स्वास्थ्य से संबंधित कुष्ठ रोग, टीकारण, टीबी, परिवार नियोजन सहित अनेक योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक योजना प्रभारी साल में आधा दर्जन से अधिक बार बैठकों का आयोजन करते हैं। बैठकों के आयोजन के लिए सीएमओ कार्यालय के सभागर के साथ पांच बिल्डिंग में प्रशिक्षण केन्द्र की व्यवस्था है। शासन ने यह व्यवस्था शासकीय राशि के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाई है लेकिन स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभारी इस तरह की बैठक सीएमओ कार्यालय के सभागार अथवा प्रशिक्षण केन्द्र के भवनों में न लेकर इसका आयोजन शहर की बड़ी आलीशान होटलों में कर रहे हैं। इसमें प्रत्येक आयोजन में बैठक के नाम पर लाखों रुपये का खर्च बेवजह हो रहा है। इस फिजूलखर्ची से शासन को प्रतिवर्ष लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। एक शिकायत के अनुसार इसकी आड़ में जमकर कमीशन खोरी की जा रही है जिसमें सीएमओ कार्यालय के कतिमय अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संलिप्त बताई जा रही है।
गौरतलब है कि केन्द्र व राज्य शासन द्वारा स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। देश व राज्य का हर नागरिक स्वस्थ्य व सुरक्षित रहे इसके लिए योजनाओं का क्रियान्वयन निष्पक्षता से करने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के पास प्रत्येक योजनाओं व कार्यक्रम के क्रियान्वयन के नाम पर लाखों व करोड़ों रुपये का फंड आता है। इस राशि का उपयोग आम लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं का लाभ दिलाने पर आधारित है किंतु दुर्ग जिला का स्वास्थ्य विभाग इसकी आड़ में निजी तरीके से आर्थिक लाभ हासिल करने में मशगूल है।
टीबी में जागरुकता के नाम पर होने वाली बैठक में निजी डॉक्टर भी होते हैं शामिल
राष्ट्रीय व राज्य शासन की स्वास्थ्य योजनाओं के नाम पर प्रत्येक कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम प्रभारी साल में छह से आठ बार बैठक का आयोजन करते हैं लेकिन इसका क्रियान्वयन केवल बैठक तक ही सीमित रहता है। जमीनी सतह पर आकर योजनाओं का लाभ दिलाने सार्थक प्रयास नहीं होता। पता चला है कि टीबी के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों को भी शामिल किया जाता है। लेकिन यह बैठक न होकर आयोजन पार्टी के रूप में तब्दील हो जाता है।
संयुक्त संचालक ने ली थी मनगट्टा में बैठक
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में स्वास्थ्य कार्यक्रम के संयुक्त संचालक प्रशांत श्रीवास्तव ने दुर्ग संभाग के अंतर्गत आने वाले जिले के एमएमओ व कार्यक्रम प्रभारियों की बैठक ली थी। इस बैठक का आयोजन भी किसी शासकीय भवन की बजाय मनगट्टा में किया गया। इस बैठक के नाम पर भी लाखों रुपये का खर्च होने की जानकारी मिली है।