दुर्ग-भिलाई में लाकडाउन की आशंका से सामानों की कालाबाजारी शुरू

दुर्ग। दुर्ग-भिलाई में जमाखोरी और कालाबाजारी फिर से शुरू हो गया है। खाद्य पदार्थो की जमाखोरी की जा रही है। किराना दुकानों में गुड़ाखू एवं जर्दायुक्त गुटखों की कीमतों में बढ़ोतरी कर दिया गया है। वर्तमान में गुड़ाखू दुकानों में नही मिल रहा है, जहां मिल रहा है वहां उपभोक्ताओं को अनाप-शनाप दर पर बेचा जा रहा है। फिलहाल रात 10 बजे के बाद से नाइट कर्फ्यू की सख्ती देखने को मिल रही है। मगर दिन का जो वक्त है वो दुकानदार ग्राहकों को लूटने में लगा रहे हैं। दुर्ग की बस्तियों में गुटखे के सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांड महंगे हो चुके हैं। कई जगहों पर तो दुकानदार यहां तक कह रहे हैं कि सप्लाई ही नहीं है। रोजमर्रा की कई चीजों के दाम 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक बढ़ चुके हैं। इन सबके पीछे की वजह है लॉकडाउन का हल्ला। हालांकि आधिकारिक तौर पर लॉकडाउन को लेकर कोई एलान सरकार या प्रशासन ने नहीं किया है।

4 दिन पहले प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने स्पष्ट किया था कि प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने जैसी कोई बात नहीं है। सभी कारखाने और व्यावसायिक काम-काज होते रहेंगे। उन्होंने लॉकडाउन के सवाल पर कह दिया था कि लॉकडाउन की चर्चा ही नहीं है, हम इस वक्त लॉकडाउन की स्थिति में नहीं हैं। बावजूद इसके बाजार में महंगाई आम आदमी को परेशान किए हुए है। दुर्ग-भिलाई में किराने की दुकान चलाने वाले ने बताया कि सबसे ज्यादा बिकने वाला गुटखे का पाउच नहीं मिल रहा। कुछ दुकानों पर इसे 10 से 15 रुपए बढ़ाकर बेचा जा रहा है, फुटकर में 5 रुपए का गुटखा अब 7 रुपए में बिक रहा है। होलसेल में खाने के तेल के दाम बीते दो-तीन दिनों में अचानक बढ़ गए हैं। जो तेल का टीपा 2020 रुपए में मिल रहा था, अब 2100, 2200 के करीब मिल रहा है, होलसेल में ही रेट बढ़ गए हैं तो चिल्हर रेट पर इसका असर पड़ा है।

होलसेल दुकानदारों का ग्रुप ऐसे मौके की तलाश में ही रहता है। लॉकडाउन की खबरों के बीच मार्केट से अचानक कुछ चीजों को गायब कर दिया जाता है। लोग जब मनमाने दाम पर खरीदने को राजी हों तो 5 रुपए की चीज 50 में बेची जाती है। इस बार भी कुछ ऐसी की तैयारी में कारोबारी नजर आ रहे हैं।

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