सिंथेटिक व नायलॉन मांझे से पतंगबाजी: मांझा के नाम पर बेचा जा रहा मौत का सामान
दुर्ग (चिन्तक)। इन दिनों शहर में पतंगबाजी का के्रज है। बच्चे सहित बड़े भी पतंगबाजी करते देखे जा सकते हैं। मांझा विक्रेताओं द्वारा छोटे बच्चों को मांझा के नाम पर नाइलॉन की डोर थमाया जा रहा है और बच्चे भी अनजाने में मौत को अपने घर ला रहे हैं। नायलॉन या सिंथेटिक सामग्री से बने धागे के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध के बाद भी धड़ल्ले से दुकानों में बेचे जा रहे हैं, जिसे आम बोलचाल की भाषा में चाइनीज मांझा कहा जाता है।
दुर्ग-भिलाई के कई बाजारों सहित गली-मोहल्लों में खुलेआम नायलॉन व सिंथेटिक मांझा बेचा जा रहा है। जो प्रतिबंध मांझा पहले चोरी छिपे बेचा जाता था, अब व्यापारियों द्वारा खुलेआम बेचा जा रहा है। प्रशासन के नाक के नीचे इस तरह मौत का कारोबार करना समझ से परे है। भिलाई शहर के रावणभाठा, रामनगर, सुपेला, पावर हाउस पतंग मार्केट सहित दुर्ग इंदिरा मार्केट, हटरी बाजर सहित गली मुहल्लों में प्रतिबंधित नायलॉन व सिंथेटिक मांझा बेचा जा रहा है। बच्चों में पतंगबाजी को लेकर बहुत क्रेज रहता है, लेकिन बाजार में चाइनीज मांझे की बिक्री दुर्घटनाओं को निमंत्रण देती है। चाइनीज मांझे से ना सिर्फ बच्चों के बल्कि वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। चाइनीज माझे गले में फसने, सड़क पर गाड़ियों में माझा के कारण दुर्घटना होने के कारण लोगों की मौत हो जाती है। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है और मनुष्यों, पक्षियों और जानवरों के लिए खतरा पैदा करता है। प्रतिबंधित होने के बावजूद भी यह मांझा बाजारों में बेरोकटोक धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
सिंथेटिक व नायलॉन मांझे पर पूर्णत प्रतिबंध लगाने कार्रवाई जरूरी
चाइनीज मांझा आए दिन किसी न किसी राहगीर को अपनी चपेट में लेकर घायल कर देता है। यह मांझा प्रत्येक दृष्टि से बेहद खतरनाक एवं हानिकारक है। प्रतिवर्ष कई लोग व जीव जंतु इस मांझा की चपेट में आकर घायल हो रहे हैं। इस मांझा के कारण अनेकों पशु-पक्षियों की भी जान चली जाती हैं। इसलिए प्रशासन की ओर से इसकी बिक्री व उपयोग पर पूर्णता पाबंदी लगाई जानी आवश्यक है। पूरे जिले में पतंग की दुकानों की जाांच कर ऐसा मांझा जब्त किया जाना चाहिए। केन्द्र सरकार ने पतंग उड़ाने के लिए प्लास्टिक, सिन्थेटिक, चाइनीज, हानिकारक पदार्थ से निर्मित धागे का निर्माण व उपयोग नहीं करने की हिदायत दी है। माझा बनाने में चावल, सरेस, रंग और सूती धागे का इस्तेमाल होता है। इसे धारदार बनाने के लिए काच का बुरादा लगाया जाता है। वहीं चाइनीज माझा प्लास्टिक के धागे से तैयार होता है।
चाइनीज मांझे से छात्रा का गला कटा
उज्जैन में 20 साल की छात्रा की जान चाइनीज मांझे ने ले ली। लड़की अपनी ममेरी बहन को साथ लेकर स्कूटर से जा रही थी। जीरो पॉइंट ब्रिज पर उसकी गर्दन से मांझा उलझ गया। जिससे गला कटने की वजह से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद छात्रा मौके पर ही काफी देर तक तड़पती रही और उसकी गाड़ी समेत घटनास्थल पर भी काफी खून फैल गया। लेकिन किसी ने मदद नहीं की। चाइनीज मांझा ब्लेड की तरह पैना होता है। प्रतिबंध होने के बाद भी इसकी खरीद और बिक्री बेरोकटोक जारी है।