जमीन नहीं अब सरकारी कर्मचारी बनेंगे जमानतदार तब मिलेगा कर्ज

बिलासपुर। दिव्यांगों को नि:शक्तजन वित्त एवं विकास निगम ने स्वरोजगार के लिए ऋण लेने अब मशक्कत करनी पड़ेगी। राज्य शासन ने डूबते कर्ज से बचने के लिए कड़ी शर्त लगा दी है। जमीन संबंधी दस्तावेज की गारंटी अब मान्य नहीं की जाएगी। इसके लिए सरकारी सेवा में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी को जमानतदार बनाना होगा। इनके सामने आने और ऋण के लिए सहमति देने की स्थिति में ही दिव्यांग हितग्राही को कर्ज मिलेगा। छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा दिव्यांगजनों को स्वरोजगार के लिए ऋण प्रदान किया जाता है।

निगम ने इस संबंध में नवीन निर्देश जारी किया है। निगम द्वारा जारी निर्देश के अनुसार ऋण प्रकरण की स्वीकृति के लिए अब जमीन संबंधी गारंटी मान्य नहीं की जाएगी। ऋण की गारंटी के लिए केवल शासकीय सेवक ही जमानत के रूप में मान्य किये जाएंगे।गौरतलब है कि नि:शक्तजन वित्त और विकास निगम रायपुर द्वारा 18 से 55 वर्ष के ऐसे दिव्यांगजनों को जो 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांंग है उन्हें स्वरोजगार के लिए ऋण प्रदान किया जाता है। ऋण प्राप्त करने के लिए दिव्यांग आवेदक को केंद्र या राज्य सरकार के चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी दिव्यांगता संबंधी चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होता है। इसके साथ साथ शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, आय घोषणा प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज प्रस्तुत करना होता है। दिव्यांगों को ऋण प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति सहित अन्य जरूरी दस्तावेज भी जमा करने होते हैं।

इसलिए रखी कड़ी शर्त
आमतौर पर यह शिकायत मिलती है कि स्वरोजगार के लिए कर्ज लेने के बाद हितग्राही संबंधित विभाग में राशि का भुगतान नहीं करते हैं। कर्ज पटाने में आनाकानी करने के कारण विभाग की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होते जा रही है और एनपीए भी साल-दर-साल बढ़ते ही जा रही है। सरकारी कर्मचारी के जमानतदार के रूप में सामने आने पर कर्ज की अदाएगी होने की संभावना बनी रहेगी।