पत्नी को दी जाए अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

बिलासपुर। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए राज्य शासन की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सिंगल बेंच ओदश को सही ठहराते हुए कहा है कि अगर किसी परिवार में बेटे की मौत हो जाती है और उसकी मां शासकीय सेवा में है, तब भी उसकी पत्नी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार होगी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बेटे की मौत के बाद उसकी मां को परिवार के सदस्य के रूप में नहीं माना जा सकता। ऐसे में मृतक की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

बस्तर जिले की मुनिया मुखर्जी के पति लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी थे। सर्विस में रहते हुए 30 अगस्त 2020 को कोरोना से उनकी 31 साल की उम्र में मौत हो गई। पति की मौत के बाद मुनिया ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभाग में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। लेकिन विभाग ने उनके आवेदन पत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य शासन ने वर्ष 2013 में अनुकंपा नियुक्ति नियम में संशोधन किया है। इसके अनुसार दिवंगत कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्य शासकीय सेवा में हैं तो उन्हें अनुकंपा नियुक्ति का पात्र नहीं माना जा सकता। दरअसल, मुनिया की सास मीना मुखर्जी शासकीय सेवा में थी। इसलिए उन्हें अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपात्र माना गया।

शासन के नियम को चुनौती देते हुए मुनिया मुखर्जी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके अधिवक्ता रतनेश अग्रवाल के तर्कों को सुनने के बाद सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार कर महिला को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था। सिंगल बेंच के इस आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में अपील प्रस्तुत कर अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश को निरस्त करने की मांग की थी।

राज्य शासन ने अपनी अपील में कहा कि आवेदक मुनिया की सास मीना मुखर्जी शासकीय शिक्षक हैं। जिसके कारण विभाग ने बहू को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी। मुनिया मुखर्जी के वकील रतनेश अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि पति-पत्नी व बच्चे परिवार के सदस्य में शामिल होते हैं। पति की मौत के बाद सास को उनके परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि अपनी सर्विस से वे स्वयं का भरण पोषण कर रही हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने पति की मौत के बाद पत्नी को आश्रित सदस्य मानकर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही राज्य शासन की अपील को खारिज कर दिया।

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