अस्पतालों में मरीजों के जान के साथ हो रहा खिलवाड़, एक अस्पताल सील
गरियाबंद। शहर में पुराने एसपी कार्यालय के सामने विगत ढाई साल से चल रहे सिटी अस्पताल पर आखिरकार स्वास्थ्य विभाग ने मेहरबानी खत्म कर दी. नर्सिंग एक्ट के नोडल अधिकारी डॉक्टर अमन हुमने के नेतृत्व में तीन चिकित्सकीय दल ने सिटी अस्पताल पहुंचकर उसे सील कर दिया। बता दें कि जिस वक्त दल पहुंचा उस समय दो मरीजों का उपचार चल रहा था, पर डॉक्टर नदारद थे। अस्पताल का संचालक पांडुका निवासी पूरन सिन्हा मौजूद था। नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल का कोई पंजीयन भी नही था। पूरन के पास भी कोई डिग्री नहीं थी.जानकारी के अनुसार इससे पहले भी अस्पताल का इंसपेक्शन दल ने किया था, पर दल के पहुंचने से पहले ही संचालक किराए के डॉक्टर हाजिर करवा देता था, इस बार दल ने कार्रवाई की भनक तक नहीं लगने दी. कार्रवाई में डॉक्टर गजेंद्र ध्रुव और डॉक्टर हरीश चौहान भी शामिल थे।
सख्ती की जरूरत, जान से खिलवाड़ कर रहे और 2 अस्पताल
जिले के अन्य विकासखंड में झोलाछाप डॉक्टरों पर विभाग लगातार कार्रवाई होती रही है, पर जिला मुख्यालय में बड़े अस्पतालों में हो रहे नियमों की अनदेखी ने विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। जिला अस्पताल के 200 मीटर के दायरे में गरियाबंद में और दो अस्पताल संचालित है, जिनका पंजीयन तो है पर एक्ट के अन्य कण्डिकाओं का पालन नहीं हो रहा है। वहीं महिला के बजाए पुरुष द्वारा सोनोग्राफी किया जाता है। डिग्री धारी पैथोलाजिस्ट के बिना ब्लड जांच किया जा रहा. एनेस्थीसिया व महिला डॉक्टर की बगैर पोस्टिंग के डिलवरी जैसे सवेदनशील केसेस को भी रकम के लालच में हैंडल किया जा रहा है।
अस्पताल चलाने के लिए जरूरी पर्याप्त स्थान, टॉयलेट बाथरूम, बॉयोमेडिकल वेस्ट जैसे कई जरूरी सुविधा नदारद है। सरकारी निर्धारित दर पर सोनोग्राफी के बजाए मनमानी कीमत वसूला जा रहा। सिटी अस्पताल की तरह ही इन दो अस्पतालों में नाम भर का डॉक्टर है। डॉक्टर अमन हुमने ने कहा मापदण्ड पूरा नहीं करने की और भी शिकायतें हैं. विभाग के राष्ट्रीय कार्यक्रम, प्रशिक्षण चल रहे हैं। समय निकालकर जल्द ही जांच निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।