हाईकोर्ट ने दुष्‍कर्म के आरोपी को किया रिहा, कहा- महिला विरोध नहीं करती है तो इसे जबरदस्ती नहीं मानते

भुवनेश्वर। दुष्‍कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा कि अगर महिला शारीरिक संबंध बनाने के लिए पर्याप्त विरोध नहीं करती है तो कोर्ट इसे जबरदस्ती नहीं मानता। महिला जबरन शारीरिक संबंध बनाने का विरोध कर सकती है। इस मामले में कोर्ट ने आरोपी को रिहा कर दिया और कहा कि जब महिला के शरीर पर कोई निशान नहीं है, तो यह कैसे मानें जबरदस्ती की गई थी। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वयस्क महिला शारीरिक संबंध बनाने का विरोध नहीं करती है तो इसे उसकी सहमति माना जाएगा।

जस्टिस संगम कुमार साहू ने कहा कि यदि महिला ने पर्याप्त विरोध नहीं किया तो फिर इसे कोर्ट इसे जबरदस्‍ती नहीं मानता और न ही ये मानता है कि यह उसकी मर्जी के बिना किया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में ऐसा लगता है कि घटना को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। यह बात ध्‍यान में रखनी होगी कि अगर पीड़िता राजी नहीं थी और उसकी मर्जी नहीं थी तो फिर उसने आरोपी का विरोध क्‍यों नहीं किया? कोर्ट ने कहा कि आरोपी का विरोध किया गया था तो दोनों में से किसी के शरीर पर कोई जख्म होना चाहिए था।

दोनों शरीरों पर कोई निशान नहीं पाया गया
हाईकोर्ट में इस मामले में कहा कि दोनों के शरीर पर कोई निशान नहीं पाया गया है। अगर कोई निशान या जख्‍म मिलता तो यह बात साबित होती है कि शारीरिक संबंध जोर-जबरदस्‍ती के साथ बनाया गया। ऐसे में कोर्ट का मानना है कि महिला की तरफ से कोई विरोध नहीं किया गया था। सबूतों और रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा लगता है कि खुद को बचाने के लिए महिला ने कहानी रची और घटना को तोड़-मरोड़कर पेश कर दिया।

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