चंद्रयान-3 का बजट जान चबा लेंगे दातों तले ऊंगलियां, Luna-25 के आधे से भी कम है लागत, इसरो का है कमाल
बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है और इसके अब बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद 17 अगस्त को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है. चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है. चंद्रयान-3, चंद्रयान 2 का परवर्ती मिशन है. विस्तार से जानिए चंद्रयान-3 मिशन की लागत और पूरा बजट:
चंद्रयान-3 का बजट
भारत के पिछले चंद्र मिशनों, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 की तुलना में चंद्रयान 3 बहुत महंगा मिशन नहीं है. इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन के अनुसार, इस मिशन की अनुमोदित लागत, जिसमें लॉन्च वाहन की लागत शामिल नहीं है, लगभग 250 करोड़ रुपए है. इस लागत में मिशन के लिए लैंडर, रोवर और प्रणोदन मॉड्यूल शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, लॉन्च सेवा की लागत 365 करोड़ रुपए है. इस तरह से देखा जाए, तो चंद्रयान-3 मिशन का कुल बजट बढ़कर रु. 615 करोड़ यानि करीब 75 मिलियन डॉलर हो जाता है. दिसंबर 2019 में, अंतरिक्ष एजेंसी की तरफ से 75 करोड़ रुपए की प्रारंभिक फंडिंग का अनुरोध किया गया था; इसमें से 60 करोड़ रुपए का उपयोग मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजी से संबंधित खर्चों के लिए होना था, जबकि शेष राशि व्यय मद में मांगी गई थी.
चंद्रयान-2 की लागत कितनी थी
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, चंद्रयान-3 पहले के अभियानों की तुलना में किफायती और लागत प्रभावी मिशन है, खासकर जब भारत के आखिरी चंद्र मिशन, चंद्रयान 2 की लागत से इसकी तुलना की जाती है. बताया गया है कि लैंडर, ऑर्बिटर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क की लागत लगभग 603 करोड़ रुपए थी, जबकि भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की लागत 375 करोड़ रुपए थी और ऐसे में चंद्रयान-2 का कुल बजट 978 करोड़ रुपए का था.
चंद्रयान-3 बजट बनाम लूना-25 बजट
चंद्रयान-3 का बजट लगभग रु. 615 करोड़ है, जो अन्य चंद्र मिशनों की तुलना में काफी कम है. भारत का सीधा मुकाबला रूस के लूना-25 मिशन से था और इस बात पर लगातार नजर रखी जा रही थी कि भारत या रूस किसका अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर पहले उतरेगा. हालांकि, रूस का मिशन लूना-25 के चांद की सतह से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही समाप्त हो गया. बजट की तुलना करें, तो रूस ने अपने चंद्र मिशन का बजट आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह करीब 1,600 करोड़ रुपए का था.
यह चंद्र मिशन 2021 में लॉन्च होने वाला था, लेकिन महामारी के कारण इसमें कुछ साल की देरी हो गई. अब तक केवल तीन देश चीन, अमेरिका और सोवियत संघ ही चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं. हालांकि, ये भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे. और अगर भारत ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल हो जाता है, तो वह चंद्रमा पर उतरने वाला ना सिर्फ चौथा देश बन जाएगा, बल्कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला एकमात्र देश होगा.