कांग्रेस में बढ़ रहे डेमेज पर कंट्रोल की दरकार: पहली बार दुर्ग शहर से बीस दावेदार, जीत के लिए एक-एक सीट है महत्वपूर्ण
दुर्ग (चिन्तक)। दुर्ग शहर कांग्रेस में डेमेज की स्थिति पहली बार सार्वजनिक तौर पर उभर कर सामने आई है। इसका मुख्य कारण पिछले दो चुनाव से कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट पर बीस से अधिक लोगों की दावेदारी है। इस सीट पर अरूण वोरा विधायक है और छत्तीसगढ़ वेयर हाउस कार्पोरेशन के चेयरमेन भी है। श्री वोरा पिछले चुनाव मे 21 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए थे।
यहां गौरतलब है कि साल के आखरी महीने में विधानसभा का चुनाव होना है। कांग्रेस हाई कमान ने 22 अगस्त तक ब्लाक अध्यक्षों के पास चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों से आवेदन जमा करने के लिए कहा था। इस लिहाज से दुर्ग शहर से विधायक अरूण वोरा के अतिरिक्त बीस अन्य कांग्रेस नेताओं ने दावेदारी के लिए आवेदन जमा कराया है। विधायक अरूण वोरा पिछले छह बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है जिससे उन्हे तीन बार जीत और तीन बार हार का सामना करना पड़ा है। अभी तक ऐसा हुआ है कि चाहे हार हो या जीत हो। अरूण वोरा दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र से एक मात्र दावेदार रहे हैं। लेकिन सातवीं बार चुनाव लड़ने के स्थिति के बीच उनके समक्ष बीस दावेदार सामने आ गए है। यह शहर कांग्रेस मेंं बढ़ रहे डेमेज का संकेत है जिस पर कंट्रोल करने की जरूरत है।
मिली जानकारी के मुताबिक दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में विधायक अरूण वोरा के अतिरिक्त जिन लोगों ने दावेदारी की है इसमें ऋषभ जैन, आर.एन.वर्मा, राजेश यादव, एनी पीटर, संजय धनकर, दुष्यंत देवांगन, अनिल जायसवाल, पोषण साहू, प्रमोद साहू, भुनेश साहू, विनोद सेन, दीपक दुबे, मदन जैन, आशीष तिवारी, देवेश मिश्रा, कल्पना देशमुख, मोहम्मद अजगर, गुरदीप भाटिया, अय्यूब खान शामिल है। इन दावेदारों में कुछ ऐसे नेता है जिनका शहर में महत्व है। ऋषभ जैन दो बार के पार्षद होने के साथ नगर निगम के एम.आई.सी. प्रभारी है। गृहमंत्री के करीबी माने जाते हैं। पूर्व महापौर आर.एन.वर्मा दो बार महापौर रहने के साथ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष हैं। श्री वर्मा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी नेताओं में से एक है। राजेश यादव कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है और नगर निगम के सभापति है। दीपक दुबे कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होकर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके है और शहर में लोकप्रिय है। मदन जैन सबसे वरिष्ठ पार्षद हैं और प्रदेश संगठन में भी पदाधिकारी रह चुके है। अय्यूब खान दुर्ग लोकसभा युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके है। देवेश मिश्रा अरूण वोरा के कट्टर समर्थक रह चुके है। कल्पना देशमुख जिला ग्रामीण महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी है। ये सभी अपने पीछे जनाधार रखने वाले नेता है। दुर्ग शहर कांग्रेस में दावेदारों की अधिकता चिन्ता का विषय है। जबकि दुर्ग की गिनती कांग्रेस की सुरक्षित सीट के रूप में की जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अरूण वोरा एक मिलनसार व व्यवहार कुशल नेता है उनका चरित्र भी बेदाग रहा है लेकिन उनके समक्ष दावेदारों की बढ़ी संख्या चिन्ता का कारण बन गई है। अगले विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ग्रामीण अंचल की सीटों के प्रति भले ही आशावान हो लेकिन शहर की सुरक्षित सीटों को बचाए रखने के लिए उच्चस्तर पर प्रयास करना होगा। कांग्रेस के लिए एक एक सीट महत्वपूर्ण है कमोबेश समय से पहले डेमेज में कंट्रोल की दरकार है।