बड़ी दुर्घटना की आशंका: राजीवगांधी सेतु की जर्जर सीढ़ी बनी जानलेवा, पी.डब्लू.डी. विभाग की लापरवाही से खतरे के साये में है नागरिकों का जीवन
दुर्ग। मोहन नगर धमधा रोड से 35 साल पहले बना राजीव गांधी ओव्हर ब्रिज पहले ही अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इसके समानांतर नये पुल का निर्माण कभी होगा भी या नही भगवान भरोसे है। लेकिन इस पुल में ऊपर जाने के लिए बनाई गई सीढी दर्जर होकर झूल रही है। हेैरत की बात यह है कि लोक निर्माण विभाग इससे बेखबर होकर कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है।
जानकारी के अनुसार, दुर्ग से धमधा बेमेतरा मार्ग में आवागमन को सुचारू बनाने के लिए मोहन नगर से धमधा रोड में लगभग तीन दशक पहले यू आकार का राजीव गांधी ओव्हर ब्रिज बनाया गया है। बार बार संधारण व डामरीकरण के कारण पुल व फुटपाथ की जगह समतल हो गई है। पहले फुटपाथ होने की वजह से ऊपर पहुंचने के लिए पुल के बीचो बीच सीढ़ी का निर्माण किया गया था। परिणाम स्वरूप पुल तक पहुंचने के लिए लोग इसका उपयोग करते थे। परन्तु फुटपाथ व सड़क के एक समतल होने के कारण और लगातार हो रही दुर्घटनाओं की वजह से लोग अब पुल की सीढ़ी का उपयोग करने से कतराने लगे हैं और सीढ़ी का उपयोग करना भी बंद कर दिया है। उपयोग हीन हो चुकी सीढ़ी बुरी तरह जर्जर होकर झूल रही है। जो कभी भी भरभरा कर गिर सकती है। इससे जानलेवा दुर्घटना के घटित होने की संभावना है। पुल के नीचे दो दर्जन के आसपास डेयरी संचालक व्यवसाय करते है। जो वहां अपने जानवरों को बांधकर रखने के साथ निवास भी करते हैं। जर्जर पुल वेैसे भी इनके लिए खतरे का सबब बना हुआ है लेकिन जर्जर सीढ़ी ने इनके खतरे को और अधिक बढ़ा दिया है। पुल के बगल से नीचे ंमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगो का आना जाना होता है। अंडरब्रिज बनने के बाद इस मार्ग में आवाजाही बढ़ गई है। इस स्थिति में जर्जर हो चुकी सीढी के भरभराकर गिरने से एक साथ कई लोगों की जान जाने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।
पी.डब्लू.डी. की लापरवाही उजागर
राजीव गांधी सेतु की सीढ़ी की जर्जरता मेंं पी.डब्लू.डी. विभाग और सेतु विभाग की बड़ी लापरवाही उभरकर सामने आई है। लोक निर्माण विभाग ने गाहे बगाहे पुल का संधारण व डामरीकरण किया है और जाली भी लगाई है लेकिन पुल में सिकोला भाठा व मोहन नगर की ओर जाने के लिए बनाई गई सीढ़ी के संधारण पर कभी ध्यान नही दिया है। इसका दुष्परिणाम यह है कि जर्जर होकर यह सीढ़ी जीर्णशीर्ण होकर बुरी तरह टूट गई है और झूले की तरह लटक गई है। अब यदि लोक निर्माण विभाग ने इस मामले में गंभीरता से ध्यान देकर पहल नही की और सीढ़ी को वहां से नही हटाया तो कभी बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है।
मेंटनेन्स के नाम पर मिलने वाली राशि का दुरूपयोग
लोक निर्माण विभाग को सड़क व सरकारी भावनो के मरम्मत के नाम पर राज्य शासन से प्रतिवर्ष करोड़ो का फं ड मिलता है। लेकिन विभाग इस फं ड का कभी भी सही उपयोग नही करता। मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल बनाकर रकम निकाल ली जाती है लेकिन धरातल में काम नही होता। जर्जर सीढ़ी को तोडऩे के नाम पर भी विभाग कोई उपाय नही कर रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू के गृहजिले के विभाग में हो रहा है। यदि कोई बड़ी दुर्घटना हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इस पर सवालिया निशान की स्थिति बन गई है।