केरल हाईकोर्ट ने पोर्नोग्राफी मामले में की टिप्पणी, कहा- सेक्स सिर्फ वासना नहीं प्यार भी है

तिरुवनंतपुरम। हाईकोर्ट में एक मामला पहुंचा था, जहां एक शख्स पर सड़क किनारे अश्लील वीडियो देखने के आरोप लगे थे। कोर्ट का कहना है कि बगैर किसी और दिखाते हुए निजी तौर पर पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है। जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने पोर्नोग्राफी देखने को नागरिक का निजी फैसला बताया। साथ ही यह भी कहा कि इसमें दखल देना उस व्यक्ति की निजता के उल्लंघन जैसा होगा। कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ धारा 292 के तहत मामले को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि अगर उस पर लगे आरोपों को सच मान भी लिया जाता है, तो भी इसे धारा 292 के तहत अपराध नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने सेक्स को लेकर कहा कि यह सिर्फ वासना नहीं है, बल्कि प्रेम की अभिव्यक्ति है। इसे संतान के लिए भी किया जाता है। कोर्ट का कहना है, ‘लेकिन कामुकता कुछ ऐसी चीज है, जिसे भगवान ने शादीशुदा पुरुष और महिला के लिए डिजाइन किया है। लेकिन वयस्क हो चुके पुरुष और महिला का सहमति से सेक्स करना अपराध नहीं है।’

कोर्ट ने कहा, ‘बच्चों को उनके खाली समय में क्रिकेट या फुटबॉल या अन्य खेल खेलने दें। यह भविष्य में देश की आशा की किरण बनने जा रही स्वस्थ युवा पीढ़ी के लिए जरूरी है। बच्चों को मैदानों में खेलने दें और घर पहुंचने पर मां के हाथों के खाने की खुशबू का मजा लेने दें।