पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण की सम्यक आराधना का चतुर्थ: वाणी संयम दिवस

दुर्ग। जैन श्वेतांबर तेरापंथ समाज दुर्ग को पर्युषण पर्वाराधना के
वाणी संयम दिवस के अवसर पर उपासिका डा. वीरबाला छाजेड़ ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि वाणी में व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण करने की क्षमता होती है। वाणी का संयम व्यक्ति की सफलताओं – लोकप्रियता के द्वार खोलती है। आपने व्यक्तित्व विकास के तत्वों को विस्तार पूर्वक समझातें हुए सफल होने के लिए प्रेरित किया।
उपासिका साधना कोठारी ने कहा कि व्यवहार जगत में बोलने की अपेक्षा होती है। आवश्यक है क्या बोलना – कैसे बोलना। वाणी के असंयम की ही परिणीति हुई थी…महाभारत। आपने ऐतिहासिक कथानकों के माध्यम से वाणी के विवेकपूर्ण उपयोग की प्रेरणा दी। आगे आपने मरुभूति [ प्रभु पार्श्व का जीव ] और कमठ के दस भवों तक चले बैर का भावनात्मक रूप से वर्णन किया। उपासिका द्वय के साथ सभाजनोें ने “उस महाप्रज्ञ को वंदन…” गीतिका का संगान किया।
तेरापंथ महिला मंडल की निवृतमान अध्यक्षा चन्द्रा बरमेचा ने जैन विद्या परीक्षा में सम्मिलित होने की अपील करते हुए ज्ञानार्जन के लिए प्रेरित किया। खुशबू मालू ने.. वाणी संयम करके तो देखिए…गीतिका का सुमधुर गायन किया। गुरुदेव की कृपा और उपासिका द्वयों की प्रेरणा से संघ के श्रावक श्राविकाओं में त्याग – तपस्या – पौषध की होड़ लगी है।