पूर्व सरपंच व पंच ने किया शासन की हजारों रू. की राशि का गबन, पढ़िए क्या है पूरा मामला…

दुर्ग (चिन्तक)। पंचायती राज व्यवस्था से निर्वाचित जन प्रतिनिधि अपने दायित्वों का निर्वहन करने की बजाय शासन को चूना लगाकर अपनी जेब भरने के कार्य में ज्यादा सक्रिय रहे हैं।

एक इसी तरह का रोचक मामला प्रदेशके गृह लोकनिर्माण व कृषि मंत्री के दुर्ग ग्रामीण विधानसभ क्षेत्र के ग्राम भरदा का सामने आया है। जिनके पूर्व सरपंच व पंच ने मिलाकर शासन की हजारों रूपए की राशि का गबन किया है। अवैधानिक रूप से वित्तीय लाभ लेने का शिकायत संभागायुक्त कलेक्टर व मुख्य कार्यपालन अधिकारी से की गई है। एस.डी.एम दुर्ग के न्यायालय नोवेश्वर कुमार पिता माधो प्रसाद की शिकायत पर भरदा के पूर्व सरपंच जय प्रकाश भारदिया व पूर्व पंच भानुमति देशमुख के विरूद्ध प्रकरण पर सुनवाई जारी है। बुधवार को आज पेशी की तिथि नियत थी।

शिकायतकर्ता नोवेश्वर कुमार पिता माधो प्रसाद का कहना है कि ग्राम पंचायत भरदा में वर्ष 2015 से 2020 तक भानुमति देशमुख पति महेन्द्र देशमुख पंच थे। इस समयावधि में इन दोनो जनप्रतिनिधियों ने अपने पद का दुरूपयोग कर लगातार शासकीय राशि का गबन किया है। नोवेश्वर प्रसाद ने बताया कि भानुमति देशमुख ने पंच रहते हुए स्वयं का प्रस्ताव भृत्य पद हेतु चयन में रपरे 2000 रू. मासिक मानदेय किया। यह प्रस्ताव 29 दिसंबर 2016 को पारित कराया गया है। इसके बाद सरपंच जयप्रकाश ने अपने कार्यकाल के दौरान पंच एवं भृत्य भानुमति को 2016 से 2021 तक 85हजार 300 रू. आहरित करके भुगतान किया। यही नही इसी कार्यकाल में भानुमति देशमुख ने मनरेगा कर्मी बनकर 19 मार्च 2018 से 11 जून 2018 तक 10 हजार 592 रूपए अपने निजी एकाउंट में जमा कराए। यहां गौरतलब है कि एक व्यक्ति एक ही तिथि एवं एक ही समय में दो अलग-अलग वेतनिक कार्य कर सकता। परन्तु सरपंच जय प्रकाश व पंच भानुमति देशमुख के द्वारा मिली भगत व मनमानी करके गैर कानूनी कार्य निजी लाभ के लिए शासकीय राशि का गबन करने के उद्देश्य से किया गया है। इन दोनो ने मिलकर शासन को 95 हजार 842 रू. की क्षति पहुंचाई है। यह राशि जनता की गाढ़ी कमाई के टेक्स एवं शासन के राजस्व वसूली की जनोपयोगी एवं कीमती राशि है। जिसे गांव के विकास कार्य में लगाया जाना था लेकिन पूर्व सरपंच व पूर्व पंच द्वारा इसकी आड़ में सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।

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