करवा चौथ कब से और क्यों मनाया जाता है, कैसे शुरू हुई करवा चौथ व्रत की परंपरा

न्यूज रूम| करवा चौथ व्रत का आयोजन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। इस वर्ष, करवा चौथ व्रत 2023 में 1 नवंबर को बुधवार को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं इस व्रत का पालन करके पति की दीर्घ आयु और सुख-शांति की कामना करती हैं। इस दिन सुहागिनें भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। व्रत को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही तोड़ा जाता है। इस व्रत को मुश्किल व्रतों में से एक माना जाता है, जिसमें अन्न व जल ग्रहण किए बिना सूर्योदय से रात में चंद्रदर्शन तक रखा जाता है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, करवा नामक एक पतिव्रता महिला थीं। एक दिन, उनके पति नदी में स्नान करने गए, और जब वे नहा रहे थे, तो वहां एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी करवा से मदद मांगी। करवा ने अपने तपस्या और ध्यान से उस मगरमच्छ को बांध दिया। फिर, करवा उस मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास गई।

यमराज ने करवा से पूछा कि देवी, आप यहां क्यों हैं और आपकी क्या इच्छा है। करवा ने यमराज से कहा कि यह मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था, इसलिए आप अपनी शक्ति से इसे मृत्युदंड दें और नरक में ले जाएं। यमराज ने उत्तर दिया कि अभी इस मगरमच्छ की आयु बची है, इसलिए मैं इसे मृत्युदंड नहीं दे सकता।

यमराज की बात पर करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु होने का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल से आपको ही नष्ट कर दूंगी। करवा माता की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण वे न तो उसे श्राप दे सकते थे और न ही उसकी बात को अनदेखा कर सकते थे।

तब चित्रगुप्त ने मगर को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। चित्रगुप्त ने कहा जिस तरह से तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं प्रसन्न हूं। मैं वरदान देता हूं कि आज के दिन जो महिला पूर्ण श्रद्धा के साथ तुम्हारा व्रत करेगी, उसके सौभाग्य की रक्षा मैं स्वयं करुंगा। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि होने के कारण करवा और चौथ को मिलाकर इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह से मां करवा पहली स्त्री हैं जिन्होंने अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ व्रत की शुरुआत की थी। इसके बाद इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी किया था।

द्रिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय रात को 8 बजकर 15 मिनट है।

 

डिस्क्लेमर- ”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।