शहर कांग्रेस संगठन में आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत, आगामी चुनाव में परफार्मेस फिर हो सकता है प्रभावित
दुर्ग(चिन्तक)। दुर्ग शहर विधानसभा मेें पिछले दो बार के विधायक अरूणवोरा की इस चुनाव में हुई करारी हार के बाद शहर जिला कांग्रेस संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत महसूस की जाने लगी है। अन्यथा आगामी लोकसभा के बाद नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस को फिर नुकसान हो सकता है।
यहां गौरतलब है कि दुर्ग शहर कांग्रेस में वोरा परिवार का गहरा दखल रहा है। पूर्व विधायक अरूण वोरा की मर्जी से ही दुर्ग शहर कांग्रेस में ब्लाक अध्यक्ष से लेकर अध्यक्ष तक की नियुक्ति होती रही है। पूर्व विधायक अरूण वोरा पूरे दुर्ग शहर में स्वयं को नेता बाकी सभी कांग्रेसजनो को कार्यकर्ता मानकर काम करते रहे है लेकिन विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आते ही पूरे दुर्ग शहर कांग्रेस का परिदृश्य ही बदल गया है।
कांग्रेस के निष्ठावान व जमीनी कार्यकर्ता पूरे संगठन में फेरबदल की जरूरत महसूस कर रहे है और स्वतंत्र रूप से पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करने वाले योग्य व अनुभवी को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने की बात कह रहे हैं यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इससे पहले शहर कांग्रेस का संगठन पूर्व विधायक अरूण वोरा के इशारे पर काम करता रहा है और कांग्रेस में अध्यक्ष को डमी माना जाता रहा है।
कांग्रेस संगठन में अभी तक किसी भी अध्यक्ष को स्वतंत्र रूप से पार्टी हित के लिए काम करते नही देखा गया है। संगठन की कार्यप्रणाली सेें सबसे ज्यादा कांग्रेस मेेें कार्यकर्ता हताश व निराश है।
कई ब्लाक अध्यक्ष लंबे समय से जमे
दुर्ग शहर जिला कांग्रेस में पांच ब्लाक अध्यक्ष है। इनमें से कई ब्लाक अध्यक्ष ऐसे है जो लंबे समय से अपने पद मेंं जमे हुए है इन पर पूर्व विधायक अरूणवोरा की विशेष कृपा रही है। इन ब्लाक अध्यक्षो द्वारा अपनी कार्यकारिणी मेंं लोगों की नियुक्ति विधायक अरूण वोरा से पूछकर की जाती रही है। इसके अतिरिक्त जिन लोगों को पहली बार ब्लाक अध्यक्ष बनाया गया है वे भी विधायक अरूण वोरा की मर्जी से ही काम करते रहे है। इससे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में समय समय पर आक्रोश भी देखने को मिला है। जो इस विधानसभा में एक बड़े गुस्से के रूप में उभर कर सामने आया है।
विधानसभा के चुनाव में दो बार के विधायक को मिली 48 हजार से अधिक मतों की पराजय इसका ज्वलंत उदाहरण है। इस चुनाव के जरिए कार्यकर्ताओं ने संगठन में बड़े बदलाव का इरादा जाहिर कर दिया है। यदि समय रहते कांग्रेस संगठन को नये सिरे से नही बदला गया तो कांग्रेस को फिर पराजय का सामना करना पड़ सकता है।
इस चुनाव में कार्यकर्ताओं ने यह भी बता दिया है कि वे पूर्व विधायक अरूण वोरा को नेता मानने के लिए तैयार नही है। हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर सामने आकर कोई नही बोल रहा है लेकिन इनके भीतर आक्रोश की स्थिति लगभग बनी हुई है। यही हाल रहा तो आगामी लोकसभा के बाद निगम चुनाव में भी कांंग्रेस का परफार्मेँस फिर प्रभावित हो सकता है।