निगम की पदोन्नति समिति ने अपने ही निर्णय को किया निरस्त, नियम नही होने के बावजूद जल कार्य निरीक्षक के लिए शासन से मांगा मार्ग दर्शन
दुर्ग (चिन्तक)। नगर निगम की पदोन्नति समिति की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। पहले निर्णय दिया इसके बाद नाटकीय तरीके से अपने ही निर्णय को गलत ठहराते हुए इसे निरस्त करने की अनुशंसा कर दी। अवैध रूप से पदोन्नति का निर्णय देेने और इसे निरस्त करने का घटनाक्रम बेहद रोचक है। वहीं इस मामले में पदोन्नति बेहद रोचक है। वहीं इस मामले में पदोन्नति समिति के सदस्यों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही की जा रही है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम की पदोन्नति समिति में कार्यपालन अभियंता दिनेश नेताम अध्यक्ष जितेन्द्र समैय्या सहायक व सदस्य के रूप में लेखाधिकारी आर.के. बोरकर, स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली व स्थापना प्रभारी भूपेन्द्र गोडर शामिल है। इन पांच सदस्यीय समिति ने लगभग डेढ़ से दो माह पूर्व नगर निगम के चार पदो जल कार्य निरीक्षक ग्रंथपाल विद्युत मिस्त्री व स्वच्छता निरीक्षक के चार पदो पर पदोन्नति का निर्णय दिया था।
इस निर्णय को अवैध व गलत बताया गया था और कहा गया था कि उक्त चारों पद सीधी भर्ती के पद है और इन पदों में पदोन्नति नियम के विपरीत है कुछ पदों मे पदोन्नति की छूट है लेकिन इसके लिए योग्यता आवश्यक है लेकिन पदोन्नति समिति ने इसे भी दर किनार कर दिया था और पदोन्नति का निर्णय दे दिया था। अब निरस्त करने को लेकर समिति की कार्यप्रणाली चर्चा का विषय बन गयी है।
आयुक्त के संज्ञान में लने के बाद निर्णय को पलटा
अवैध पदोन्नति का मामला गर्माने के बाद जब इसकी जानकारी निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर को मिली तब उन्होंने इसे संज्ञान में लेकर पुन: परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पदोन्नति समिति ने नाटकीय तरीके से ग्रंथपाल विद्युत मिस्त्री और स्वच्छता निरीक्षक की पदोन्नति को निरस्त करने की अनुशंसा कर दी है।
जल कार्य निरीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा है। समिति के मार्गदर्शन मांगने के निर्णय को भी गलत व शासन के नियम विरुध्द बताया गया है । जलकार्य.. निरीक्षक के पद पर गलत तरीके से पंप अटेन्डेन्ट को समिति ने पदोन्नत किया है।
पंप अटेन्डेन्ट सौ प्रतिशत सीधी भर्ती का पद है। राजपत्र में उसका उल्लेख स्पष्ट रूप से किया गया है। पदोन्नति समिति ने पदोन्नत का आधार अनुभव बताया है योग्यता को पूरी तरह से देर किनार किया गया है। पदोन्नति समिति द्वारा अपने ही निर्णय को निरस्त करने का यह अनूठा मामला है।
समिति की भूमिका पर उठे सवाल
निगम की पदोन्नति समिति में शामिल अधिकारी अनुभवी है। उन्हें शोमन के नियम कानून सेट अप व आदेश का पूरा ज्ञान है। इसके बावजूद गोग्यता का मूल्यांकन किए बिना अनुभव के आधार पर गलत तरीके से पदोन्नति का निर्णय कैसे दे दिया। पंप अटेन्डेन्ट को जलकार्य निरीक्षक, उद्यान का काम देख रहे कर्मचारी को ग्रंथपाल, बिजली सुधारने वाले बिना योग्यता वाले को विदयुुत मिस्त्री व चार दरोगा को स्वच्छता निरीक्षक पर पदोन्नति का निर्णय सवालों के घेरे में है. उसके पीछे आर्थिक लेन की भी व्यापक चर्चा है।