अच्छे मानसून से 65 फीसदी भारतीय होंगे अमीर

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नई दिल्ली । मानसून के कारण भारत का किसान खुश भी होता है और दुखी भी। किसानों को अक्सर मौसम की मार झेलनी पड़ती है। कभी सूखा तो कभी बाढ़ से तबाही मच जाती है। लेकिन इस बार किसानों को जैसे ही ये खबर मिली है कि मानसून अच्छा रहने वाला है उनका चेहरा खुशी से खिल उठा। भारत विश्व का सबसे बड़ा चीनी, कॉटन और दालों का उत्पादक देश है और चावल, गेहूं के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश में चावल, गेहूं, गन्ने और तिलहन की खेती के लिए मॉनसून वर्षा महत्वपूर्ण है। खेती भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग 15 फीसदी हिस्से में होती है और इसके आधे से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। देश के करीब 30 करोड़ लोगों को इस क्षेत्र से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से रोजगार मिलता है। भारत के लगभग 65 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानी के कार्य में लगे होते हैं। अर्थशास्त्री बतातें हैं कि किसानों की अच्छी फसल होने से कई तरह के बड़े बदलाव आते हैं। गांवों से कई चीजों की डिमांड बढ़ जाती है जिसका असर सीधा-सीधा भारतीय जीडीपी पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि किसानों की इनकम अच्छी होने से सबसे ज्यादा मोटरसाइकिलों की मांग बढ़ती है जो कि ऑटो मोबाइल सेक्टर के लिए अच्छा होगा। लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है। टूरिज्म, प्राइवेट कंपनी, मैन्यूफैक्चरिंग और भी कई सेक्टरों में भारी गिरावट है। अगर मानसून बेहतरीन हो जाता है तो कम से कम इसकी भरपाई गांवों से उठने वाली मांगों से हो सकेगी। अच्छी बारिश के बाद फसलें अच्छी होंगी तो किसानों के पास पैसा होगा। किसान बाजार में उस पैसे से खरीदारी करेगा जिससे कि सबको फायदा होगा। मौसम विभाग के अनुसार मानसून की बारिश जून-सितंबर के बीच होगी। बारिश के लिए अपने पहले चरण लांग रेंज फोरकास्ट में, मौसम ब्यूरो ने कई स्थानों पर इसके आगमन की तारीखें भी दीं है। विभाग ने कहा कि केरल में मॉनसून 1 जून को आएगा है। जबकि चेन्नई में 4 जून, पंजिम 7 जून, हैदराबाद 8 जून, पुणे 10 और मुंबई 11 तारीख को संभावना है। मानसून 27 जून को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचेगा।

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