सस्ता कच्चा तेल भरेगा भारत का खजाना

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नई दिल्ली । कोविड-19 के प्रसार के खतरों के बीच दुनिया भर में कच्चे तेल की घटती खपत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो रही है। निर्यात बिल में 36 बिलियन डॉलर तक की गिरावट के कयास लगाये जा रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो न सिर्फ देश का विदेशी मुद्रा भंडार बेहतर होगा बल्कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को भी बनाये रखने में मदद मिलेगी। यदि कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत पर नजर डालें तो इसमें भारी गिरावट आ चुकी है। बीते 24 फरवरी तक इसकी कीमत 55 से 60 डॉलर प्रति बैरल थी जो कि आज की तारीख में घट कर 20 डॉलर के आसपास सिमट आयी है। भारत जैसे देश के लिए, जहां इस समय आयात पर निर्भरता बढ़ कर 85 फीसदी के करीब पहुंच गई है, यह काफी सुकूनदेह है। जब बाहर से सस्ता कच्चा तेल आएगा तो मतलब है कि घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतें कम रहेंगी।

डॉलर के मुकाबले रुपया होगा मजबूत

जब कच्चे तेल का आयात बिल घटेगा तो देश का विदेशी मुद्रा भंडार भरा रहेगा। ऐसा होने पर विदेशी मुद्रा बाजार में अन्य देश की मुद्रा के मुकाबले रुपया की सेहत बेहतर रहेगी।

सरकार को भी फायदा

कच्चे तेल की गिरती कीमतों के बीच घरेलू बाजार में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आना तय था। लेकिन बीते 16 मार्च से इनकी कीमतें फ्रीज कर दी गई हैं। इसका मतलब है कि इससे सरकार को फायदा है जो कि कोरोनावायरस के दंश से लडऩे में काम आएगा। हालांकि इस बीच पेट्रोल और डीजल के साथ साथ हवाई जहाज के ईंधन की मांग में भरपूर गिरावट हुई है।

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