न्यूज़ रूम| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एडवेंचर की कई तस्वीरें शेयर की है। पीएम मोदी ने लोगों से लक्षद्वीप में छुट्टियां बिताने की अपील की। पीएम मोदी की अपील के बाद मालदीव के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की। इससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन गई है। सोशल मीडिया पर भी बायकॉट मालदीव ट्रेंड होने लगा है। लोग लक्षद्वीप के बारे में जानकारी ले रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि आजादी के दौरान लक्षद्वीप भारत का हिस्सा नहीं था। आखिर यह भारत में कैसे शामिल हुआ? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
लक्षद्वीप छोटे-छोटे 36 टापुओं का एक समूह है। यहां के कुल क्षेत्रफल की बात करें तो यह सिर्फ 32.62 वर्ग किमी का है जो कई शहरों से कम है। यहां की कुल आबादी करीब 70 हजार के करीब है। इसमें से 96 फीसदी मुस्लिम हैं। हालांकि यहां साक्षरता दर का औसत काफी अधिक है। यहां 91.82 फीसदी लोग साक्षर हैं। पर्यटन के लिए लिहाज से यह इलाका काफी उपयुक्त हैं। एडवेंचर के यहां बहुत कुछ मौजूद हैं।
आजादी के दौरान लक्षद्वीप भारत का हिस्सा नहीं था। भारत और पाकिस्तान के बीच जब बंटवारा हो रहा था दोनों देशों का ध्यान बंगाल, सिंध जैसे बड़े इलाकों पर था। इसी की लेकर लगातार बातचीत हो रही था। लक्षद्वीप मेनलैंड का हिस्सा नहीं था ऐसे में दोनों देशों का ध्यान इस ओर नहीं गया। लक्षद्वीप पर ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान ने अधिकार जमाया। भारत के गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल रियासतों को एक करने की कोशिश में थे। इसी बीच पाकिस्तान की नजर लक्षद्वीप पर पड़ी। चूंकि यह मुस्लिम बहुत इलाका था तो लियाकत अली इसे पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे। चूंकि दोनों ही देशों की ओर से लक्षद्वीप पर दावा नहीं किया गया तो ऐसे में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई थी। आखिरकार पाकिस्तान ने लक्षद्वीप पर कब्जा करने के लिए एक युद्धपोत को रवाना कर दिया।
इधर सरदार पटेल का ध्यान भी लक्षद्वीप पर गया तो वह भी जल्द से जल्द इस पर भारत का कब्जा चाहते थे। उन्होंने सेना को आदेश दिया कि जल्द से जल्द लक्षद्वीप पर अपना दावा किया जाए। दोनों देशों की सेना लक्षद्वीप के लिए रवाना हो चुकी थीं। आखिरकार भारत की सेना पहले लक्षद्वीप पहुंची और वहां भारत का झंडा फहरा दिया। थोड़ी ही देर में पाकिस्तान की सेना भी लक्षद्वीप के करीब पहुंच गई लेकिन जैसे ही उसने भारत का झंडा देखा तो वह वापस लौट आई।
भारत की सेना ने लक्षद्वीप पर अपना कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत ने आधिकारिक रूप से 1 नवंबर 1956 को लक्षद्वीप को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। हालांकि पहले इसका नाम लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि था। बाद में भारत ने 1 नवंबर 1973 को नया नाम लक्षद्वीप कर दिया। चूंकि यह इलाका काफी छोटा था ऐसे में इसे अलग राज्य का दर्जा वहीं दिया गया।
भारत के लिए रणनीतिक तौर पर लक्षद्वीप काफी अहम है। लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में भारत का नौसेना बेस बना हुआ है। यहां से भारत को चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच रणनीतिक तौर पर काफी मदद मिलती है। इतना ही नहीं यूनाइटेड नेशंस लॉ ऑफ सी कंवेंशन्स के मुताबिक किसी भी देश के समुद्री तट से 22 किमी तक का क्षेत्र उसके अधिकार में आता है। ऐसे में लक्षद्वीप से भारत को हिंद और प्रशांत महासागर में अतिरिक्त जगह मिलती है। यह सेना के लिहाज से ही नहीं बल्कि समुद्र के रास्ते होने वाले व्यापार के लिए भी काफी अहम है।