शासकीय भूमि की नीलामी मेंं घोटाले की कलेक्टर से शिकायत, संपदा प्रभारी की भूमिका संदिग्ध, प्रक्रियाओं की जांच व कार्यवाही की मांग
दुर्ग(चिन्तक)। भिलाई-3 चरौदा निगम में रिक्त पड़ी शासकीय भूमि की नीलामी का लाभ आम लोगों को नही मिल पा रहा है। इसकी आड़ में कब्जाधारी भू माफिया इसका फायदा उठा रहे हैं। इसकी शिकायत जिले की नवपदस्थ कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से की गई है।
जानकारी के अनुसार निगम की आवासीय भूमि और व्यवसायिक परिसर की नीलामी में भू माफियाओ, जन प्रतिनिधियों अधिकारियों व कर्मचारियों की बंदरबाट वाली नीति ने वहां के आम शहरियों और साधारण व्यवसायियों के भूमि स्वामी बनने के सपनो को चकनाचूर कर दिया है।
बताया गया है कि यह कार्य कई वर्षो से योजनाबद्ध ढंग से संगठित अपराध की तरह अंजाम दिया जा रहा है। जब कभी भी आम शहरी या व्यवसायियों द्वारा इसका विरोध किया गया तो इन लोगों को ड़रा धमकाकर या तो चुप करा दिया गया या अपनी शर्तो पर महंगे दाम में जमीनो को खरीदने मजबूर किया गया। बीते 3 व 4 जनवरी को भिलाई चरोदा निगम सभागार में आयोजित नीलामी में शासकीय रिक्त भूमि के कब्जाधारित लोगों का बोलबाला रहा। इसमें ज्यादातर भूमाफियाओं और दलालों ने ही संगठित होकर बोली लगाई जबकि आम बोलीदाता को हिस्सा नही लेने दिया गया।
इस संबंध में जिलाधीश से की गई शिकायत में निगम की स्थापना समय से काबिज वर्तमान संपदा प्रभारी राजूवर्मा की भूमिका पर सवाल उठाए गये हैं। शिकायत में कहा गया है कि इन सभी क्षेत्रों में पहले एक टोकन राशि लेकर भूमि दलालों से कब्जे करवाए गए है और नीलामी समय से पहले उच्चाधिकारियों और तत्कालिक जनप्रतिनिधियों को इस योजना में शामिल कर भूमि नीलामी के माध्यम से उन्हें कब्जे दिलवाए गए है।
शिकायत में कहा गया है कि 3 व 4 जनवरी को हुई नीलामी में इसी नीति के तहत योजनाबद्ध रूप से इस भूमि घोटाले को अंजाम दिया गया है। इसमें कुछ लोगो को हिस्सा लेने से यह कहकर रोक दिया गया है कि इसमें केवल कब्जाधारी ही बोली लगा सकते है्ं। शिकायत में उल्लेख है कि इस सारे खेल को नाटकीय तरीके से अंजाम दिया जाता है ताकि सारी प्रक्रिया सामान्य नजर आए।
उदाहरण स्वरूप यदि एक भूमि के टुकड़े की कीमत तीन लाख रूपए है तो इसमें दस प्रतिशत धरोहर राशि जमाकरवा कर बोली शुरू की जाती है। इस तरह साढ़े तीन लाख रू. की भूमि को ये कब्जाधारी मात्र दस प्रतिशत जमा कराकर संगठित होकर ले लेते हैं। और उच्चतम बोली के बाद इसे तीन गुने चार गुने दाम में जरूरत मंद आम शहरी को बेच देते हैं जो पहले ही बोली में हिस्सा लेने से वंचित हो चुका होता है।
इस मामले का आश्चर्य जनक पहलू यह है कि राजू वर्मा पूर्व के साडा कार्यकाल से लेकर आज पर्यन्त तक भिलाई निगम में ही पदस्थ है। इसका अनुविभागीय स्थानांतरण भी पूर्व के भाजपा सरकार में एक बार हुआ था परन्तु कुछ समय बाद वह पुन: अपनी मनपसंद कुर्सी पर काबिज होने में सफल हो गया था। ज्ञात हो कि राजू वर्मा पूर्व साडा सदस्य पूर्व कालिक पालिका उपाध्यक्ष राधेश्याम वर्मा का छोटा भाई है एवं वर्तमान निगम में इसका पुत्र सोमनी वार्ड का पार्षद है।
बताया गया है कि इसने वसुंधरा नगर, मानसरोवर विश्वबैंक कालोनी और निवास ग्राम सोमनी में करोड़ो की संपत्ति बना ली है। स्थानीय लोगों ने कलेक्टर के साथ राज्यपाल व उपमुख्यमंत्री से शिकायत कर समस्त नीलामी को निरस्त करने के साथ वर्ष 2000 में नगर पालिका परिषद के गठन से लेकर अब तक हुई समस्त नीलामी से अपनाई गई प्रक्रिया की जांच की मांग की है। शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से व्यक्तिगत रूचि लेकर इस मामले में दोषी लोगों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।