देश के स्वच्छ राज्यों की कैटेगरी में छत्तीसगढ़ को तीसरा स्थान
नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का रिजल्ट जारी किया। एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सातवीं बार इंदौर पहले स्थान पर रहा। सूरत को भी इंदौर के साथ संयुक्त रूप से पहला स्थान मिला। महाराष्ट्र का नवी मुंबई तीसरे, आंध्र प्रदेश का विशाखापट्टनम चौथे और मध्य प्रदेश का भोपाल पांचवें नंबर पर रहा।
वहीं एक लाख से कम आबादी वाले शहरों में महाराष्ट्र का सासवड पहले, छत्तीसगढ़ का पाटन दूसरे और महाराष्ट्र का लोनावाला तीसरे स्थान पर रहा। देश के स्वच्छ राज्यों की कैटेगरी में इस बार महाराष्ट्र को पहला, मध्य प्रदेश को दूसरा और छत्तीसगढ़ को तीसरा स्थान मिला। पिछली बार मध्य प्रदेश पहले स्थान पर था।
स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 में अच्छे प्रदर्शन के लिए राज्य के पांच नगरीय निकाय रायपुर, पाटन, कुम्हारी, महासमुंद और आरंग को भी राष्ट्रीय अवार्ड मिला।
छत्तीसगढ़ राज्य में साल 2014 से 2017 के दौरान स्वच्छता को लेकर जो नीतियां बनायी गई उनमें बहुत से काम हुए। प्रदेश में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के लिए सुविधा-24 योजना शुरू की गई। छत्तीसगढ़ में स्वच्छता को लोगों की आदत में शामिल करने और इसे स्थायी रूप से व्यवहार में लाने के लिए कचरा प्रबंधन, निजी, सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों का निर्माण , सफाई मित्रों की सुरक्षा, कचरा मुक्त शहर, ओडीएफ तथा सेप्टिक टैंक के अवशेष के निपटान पर अभियान चलाए गए।
गंगा किनारे बसे सबसे साफ शहरों में वाराणसी पहले और प्रयागराज दूसरे स्थान पर रहा। दिल्ली के भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने इन राज्यों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया। इस बार कुल 9500 अंक का सर्वेक्षण हुआ है।
मध्य प्रदेश के महू को सबसे स्वच्छ कैंटोनमेंट बोर्ड का अवॉर्ड मिला है। बेस्ट सफाई मित्र सुरक्षित शहर का अवॉर्ड चंडीगढ़ को दिया गया।
भारत का स्वच्छता सर्वेक्षण दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण है। शहरों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए 2016 में इसकी शुरुआत की गई थी। स्वच्छता सर्वेक्षण के 8वें सीजन के तहत 2023 में 4500 से ज्यादा शहरों को लिस्ट में रखा गया था। इस बार सर्वे की थीम वेस्ट टू वेल्थ रखी गई थी।
एक जुलाई से 3 हजार कर्मचारियों को इन शहरों में स्वच्छता का मूल्यांकन करने का काम सौंपा गया था। शहरों का आंकलन 46 पैरामीटर पर किया गया। इसमें करीब 10 करोड़ नागरिकों से फीडबैक लेने का लक्ष्य था।