सतरूपा मंदिर समिति के चुनाव में पारदर्शिता पर उठे सवाल, रद्द करने की मांग, अध्यक्ष पद की प्रत्याशी का नामांकन हुआ निरस्त, चुनाव अधिकारी पर दुर्भावना से काम करने का आरोप
दुर्ग(चिन्तक)। शहर के सबसे प्राचीन व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक उतई रोड सिविल लाईन स्थित मां सतरूपा शीतला मंदिर समिति की नई कार्यकारिणी के लिए आगामी 11 फरवरी रविवार को मतदान से होने जा रहा चुनाव नामांकन प्रक्रिया के बीच ही विवादित हो गया है। नामांकन पत्रों की जांच के दौरान अध्यक्ष पद की प्रत्याशी शांति शर्मा का नामांकन निरस्त होने से बीते दिन भारी बवाल हुआ। शांति शर्मा ने चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए निर्वाचन अधिकारी अखिलेश मिश्रा पर दुर्भावना पूर्वक तरीके से काम करने का आरोप लगाया है और पूरी चुनाव प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है।
सतरूपा शीतला मंदिर समिति की नई कार्यकारिणी के लिए अंतिम तिथि तक अध्यक्ष उपाध्यक्ष सचिव कोषाध्यक्ष व प्रबंधकारिणी के लिए 15 लोगों ने नामा्ंकन दाखिल किए थे। निर्वाचन अधिकारी अखिलेश मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार
अध्यक्ष पद के लिए तीन लोगों ने नामांकन दाखिल किए थे। जिसमें समिति के पूर्व अध्यक्ष संजय सिंह शांति शर्मा व पूर्व सचिव रोमनाथ साहू शामिल है।
उपाध्यक्ष पद के लिए भी तीन लोगों में बीएस. चंदेल, आनंद नरेरा व शिव सागर सिन्हा द्वारा नामांकन जमा किए गए है। परिणाम स्वरूप आलोक गुप्ता व प्रदीप देशमुख से सीधा मुकाबला होगा। महासचिव पद के लिए एक भी नामांकन दाखिल नही किया गया है। संयुक्त सचिव के लिए श्रीमती चंपा साहू ने एक मात्र नामांकन दाखिल किया है। इनका निर्विरोध निर्वाचन हो सकता है।
इसी तरह कोषाध्यक्ष पद के लिए संतोष कुमार सिन्हा योनेन्द्र साहू व सुरेन्द्र कुमार धर्माकर ने नामांकन दाखिल किया है। प्रबंधकारिणी समिति के लिए तामेश्वर यादव, गणेशराम व श्रीमती पुष्पा श्रीवास ने नामांकन दाखिल किया है। समिति ने 159 सदस्य मतदान से नई कार्यकारिणी का चुनाव करेंगे। नामांकन पत्रों की जांच का काम बीते दिन किया गया जिसमें अध्यक्ष पद की प्रत्याशी शांति शर्मा व प्रबंध कारिणी के सदस्य गणेशराम का नामांकन निरस्त कर दिया गया। 3 फरवरी शनिवार को सायंकाल 6 से 8 बजे तक नामांकन पत्रो की वापसी का समय निर्धारित है। 4 फरवरी रविवार को चुनाव के मैदान मे मौजूद प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी।
मैंने इस्तीफा देकर नामांकन दाखिल किया-शांति शर्मा
अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाली समिति की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती शांति शर्मा का कहना है कि उन्हें पहले सहायक निर्वाचन अधिकारी बनाया गया था। उन्होने सहायक निर्वाचन अधिकारी के पद से कार्यमुक्त करने के लिए निर्वाचन अधिकारी को विधिवत तरीके से पत्र दिया है। कार्यमुक्त हो जाने के बाद वे चुनाव लडऩे के लिए स्वतंत्र हैं इसलिए उन्होने अध्यक्ष पद के लिए दो हजार रूपए जमा कराकर नामांकन फार्म लिया और उसे जमा भी करा दिया इस प्रक्रिया के बीच निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह कभी नही कहा गया कि आप नामांकन दाखिल करने योग्य नही है।
नामांकन दाखिल करने के बाद जांच के दौरान अचानक मेरा नामांकन फार्म रद्द करना दुर्भावना पूर्वक कदम है। निर्वाचन अधिकारी ने व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए यह काम किया है। उनके द्वारा नामांकन पत्र निरस्त करने का कोई ठोस कारण नही बताया गया है और न ही अधिनियम की धारा या उपधारा का उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि आपका नामांकन किस आधार पर निरस्त हुआ है। इससे चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गये हैं।
इस मामले में निर्वाचन अधिकारी अखिलेश मिश्रा का कहना है कि शांति शर्मा को सदन ने उनकी लिखित सहमति से सहायक निर्वाचन अधिकारी बनाया था। उन्हेंं सहायक निर्वाचन अधिकारी के पद से इस्तीफा देने के लिए अध्यक्ष को पत्र लिखना था निर्वाचन अधिकारी के नाम लिखे पत्र में उन्होने इस्तीफा देने की बजाय कार्यमुक्त होने का अनुरोध किया है। इसे सहायक निर्वाचन अधिकारी के पद से इस्तीफा देना नही माना जा सकता।बहरहाल चुनाव प्रक्रिया में इस मुद्दे के और अधिक गरमाने की संभावना है।