जीवन रक्षक दवाईयों के दाम में हो रही है अनाप शनाप वृध्दि, हर दो माह में बढ़ रहे थाईराइड,शुगर व बी.पी. की दवाओं के दाम. मोदी की गारंटी मे विषय शामिल नही
दुर्ग(चिन्तक)। दैनिक जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित दवाईयों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। दाम पर नियंत्रण नही होने से गरीब जहां परेशान है वहीं मध्यम वर्ग का बजट प्रभावित हो रहा है। जबकि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंंत्रालय को दवा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने की जरूरत है। ठोस पहल नही होने से इसका खामियाजा अब लोगो को भुगतना पड़ रहा है। मोदी की गारंटी में यह महत्वपूर्ण विषय शामिल नही है।
जानकारी के अनुसार बी.पी. शुगर, थाईराइड की दवाओं का उपयोग इससे प्रभावित लोगो प्रतिदिन करते हैं। देश राज्य केसाथ जिले में इससे प्रभावित लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके अतिरिक्त खांसी सर्दी बुखार के साथ समय समय पर जरूरत की स्थिति में एन्टी बायटिक दवाईयों का उपयोग भी होता है।
इनके दाम सबसे ज्यादा बढऩे की शिकायत है। थाईराइड,शुगर व बी.पी. की दवाओ के बढ़ते दाम पर कोई नियंत्रण नही है। हर दो माह के अंतराल मेंं 20 से 40 रू. के दाम में बढ़ोतरी हो जाती है। थाईराइड,शुगर व बी.पी.की दवाओ को लोग महीने भर के लिए खरीदते हैं। दो माह के बाद बताया जाता है कि एम.आर.पी. रेट बढ़ गया है।
रा मटेरियल के दाम में होता है असर
इस संबंध में मिली जानकारी में ज्ञात हुआ है कि भारत में स्थित दवा कंपनियों को रा मटेरियल दूसरे देशों में खरीदना पड़ता है। दवाई कंपनियां 80 प्रतिशत रा मटेरियल विदेशों से खरीदने के लिए आश्रित है। बताया गया है कि भारत में रा मटेरियल बनाने का काम नही होता। रा मटेरियल बनाने का काम देश में बंद है। रा मटेरियल का दाम बढऩे की वजह से दवाई कंपनियां अपना रेट बढ़ाती है। लेकिन जब रा मटेरियल का दर कम होता है तब भी दवाईयों के दाम कम नही होते।
ब्रान्डेड कंपनियां लगाती है मनमाना रेट
पता चला है कि ब्रान्डेड दवाई कंपनियां ही मनमाना दाम लगाती है। जबकि इन पर ड्रग रेट कंट्रोल लागू होना चाहिए। के न्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को रा मेटरियल की सप्लाई पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यह भी ज्ञात हुआ है कि कंपनियांं अपने डील होल सेलर और रिटेलर का कमीशन बढ़ाने के लिए भी अनाप शनाप तरीके से दवाईयों के दाम अनाप शनाप वृद्धि करती है। दवा कंपनियों की मनमानी का सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।