आंगनबाड़ी में मिली ममता की छांव: सुपोषण की ओर बढ़े नन्हें युवराज के कदम
रायपुर. हंसते-खेलते परिवार में मां की अचानक मृत्यु गम के साथ पारिवारिक अस्थिता भी ले आती है। बच्चे यदि छोटे हों तब ममता के अलावा उनकी छोटी-छोटी जरूरतों पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे समय में ममता की छांव और देखभाल मिलने से नन्हें पौधे की तरह ही बच्चे भी नया जीवन पा लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी बेमेतरा जिले के ग्राम कुंरा निवासी कुपोषित बालक युवराज की है, जिसने आंगनबाड़ी में मिले देखरेख से सुपोषण की ओर अपना कदम बढ़ाया है।
स्थानीय परिवेक्षक श्रीमती रानू मिश्रा ने बताया कि नन्हा युवराज प्रतिदिन आंगनबाड़ी आने वाला मासूम प्यारा बच्चा है। उसकी उम्र 3 वर्ष 6 माह है। नन्हा युवराज अपने पिता विरेन्द्र कोशल, माता बबीता कोशले, भाई, दादा-दादी और चाचा-चाची के साथ संयुक्त परिवार में रहता था। पूरा परिवार खुशहाल जिदंगी व्यतीत कर रहा था कि अचानक युवराज की मॉं श्रीमती बबीता दुनिया से चल बसीं। श्रीमती बबीता की मृत्यु से उनका पूरा परिवार दुखी और चिंतित हो गया। नन्हा युवराज बार-बार मां को पूछता और ढ़ूंढता पर किसी के पास संतोषप्रद जवाब नहीं था। युवराज मन ही मन अपनी मां को ढूढता रहता था। वह अपनी मां की कमी दिन-रात महसूस करने के कारण उदास रहने लगा। खाने-खेलने व बात करने से भी नन्हें युवराज की रूचि हटने लगी। बालक युवराज मानसिक स्तर से दुखी तो था ही अब उसका शारीरिक स्तर भी कम होने लगा।
श्रीमती रानू ने बताया कि आंगनबाड़ी में कई बार युवराज से बात कर उसके मन की बातों को जानने की कोशिश की गई पर वह बार-बार अपनी मां को ही पूछता। हमारे सामने युवराज का बचपना और उसके चेहरे की मुस्कान कैसे वापस लायें यह बहुत बड़ा प्रश्न था। हमने युवराज के प्रति ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। युवराज का वजन 11 किलो 800 ग्राम था, जो मध्यम कुपोषित श्रेणी को दर्शा रहा था। उसके वजन में आगामी दो महीनों तक भी कोई वृद्धि नहीं हुई जो कि एक चिंताजनक स्थिति थी। इससे परिवेक्षक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुमारी बाई ने युवराज के खानपान पर लगातार निगरानी रखना शुरू किया। युवराज की देखभाल में उनकी चाची का भी विशेष सहयोग रहा। इसी बीच मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू होने पर श्री दिनेश शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा पौष्टिक सामग्रियों का वितरण आंगनबाड़ी केन्द्र पर किया जा रहा था। इसका लाभ भी युवराज को मिला। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी केन्द्र में भोजन व नाश्ता भी दिया जा रहा था। धीरे-धीरे युवराज की स्थिति में सुधार होने लगा। अब वह खुलकर बात करने और बच्चों के साथ घुल मिलकर खेलने लगा है। उसका बचपना धीरे-धीरे वापस आने लगा। युवराज का वजन भी बढ़ गया अब उसका वजन 12 किलो 300 ग्राम हो गया जो कि एक सामान्य स्थिति को दर्शाता है। इस तरह आंगनबाड़ी में मिली ममता नन्हे युवराज को कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाने में सफल साबित हुई।