स्टाक के बाद भी आसमान छू रहे हैं लहसून के दाम, थोक रेट 170 से 240 रिटेल में 4 सौ रु. किलो में हो रहा है विक्रय
दुर्ग(चिन्तक)। दैनिक जीवन में रसोई में प्रयुक्त होने वाली लहसून के दाम इन दिनों आसमान को छू रहे है। थोक में लहसून का रेट से 240 रुपए किलो है लेकिन रिटेल विक्रेता इसे चार सौ रुपए किलो में बेच रहे है। परिणाम स्वरूप गरीब व मध्यम वर्ग के बजट पर 3 इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार बाजार में लहसून की नई फसल आ चुकी है। इससे पहले लहसून थोक रेट में 340 में मिल रहीं भी । जिसके कारण लोगो को 90 से सौ रुपए प्रति पाव में लहसून मिल रही थी। लेकिन नई फसल आने के बादलहसून का वर्तमान रेट 170 से 240 50 हो गया है। लेकिन चिल्हर में अभी भी पुराने दर का खेल जारी है।
बताया गया है कि पिछले समय लहसून में रेट की बढ़ोत्तरी उत्पादन में कमी की वजह से हुई है। लेकिन नई फसल आने के बाद लहसून का पर्याप्त स्राक बाजार में पढेर गया है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार वर्ष-21 -22 में देशभर में 4 लाख 31 हजार हेक्टेयर में लहसून की खेती हुई थी । 22-23 में घटकर 3 लाख 86 हजार हेक्टेयर खेती की गई।
परिणाम स्वरूप इस साल लहसून का रकबा 45 हजार हेक्टेयर हो गया। रकबा कम होने के कारण उत्पादन भी प्रभावित हुआ। 21-23 में देश भर में 35, लाख 23 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ । 22-23 में घटकर 32 लाख 33 हजार पहुच गया।
सप्लाई कम होने से बढ़ी दर
ज्ञात हुआ है कि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के समय लहसून बाजार में 50 से 90 रूपए पाव मिल रही थी लेकिन उत्पादन में कमी के बाद लहसून के दाम लगातार बढ़ते रहे हैं और 70 से 100 रू. पाव तक मिलने लगी अब जबकि लहसून की नई फसल आ चुकी है और पर्याप्त मात्रा में लहसून उपलब्ध है इसके बाद भी इसके दाम में अभी कमी नही आई है। चिल्हर रेट में लहसून अभी भी 80 रू. पाव में बेची जा रही है। दाम में कमी नही होने से गरीब व मध्यम वर्ग पर पड़ा अधिभार कम होने का नाम नही ले रहा है। स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन द्वारा इस मामले में कोई पहल नही की जा रही है।
स्वास्थ्य के लिए लहसून है लाभदायी
रसोई में सब्जियों में लहसून का प्रयोग आमतौर पर प्रतिदिन होता है लेकिन स्वास्थ्य के लिए भी लहसून को बेहद उपयोगी माना गया है। चिकित्सको के अनुसार सुबह खाली पेट दो कच्ची कली लहसून का सेवन बेहद लाभदायी है। इससे कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण रहता है बी.पी. पर कंट्रोल रहता है इसके साथ साथ केंसर का खतरा भी नही रहता। लहसून का प्रयोग दैनिक जीवन के लिए वर्तमान में बेहद आवश्यक हो गया है खानपान में असंतुलन व अव्यवस्थित दिनचर्या के लिए इसके प्रयोग को रामबाण का पर्याय माना गया है।