निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर्स मेंं कई गुना अधिक दाम पर बेची जा रही है दवाएं, बाहर खरीदने पर मनाही, मरीज हुए विवश, शासन प्रशासन मौन
दुर्ग(चिन्तक)। दुर्ग-भिलाई में संचालित निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर्स में कई गुना अधिक दामों पर दवाईयों का विक्रय हो रहा है। मरीज बाहर से दवा खरीद नही सकते। अस्पताल प्रबंधन उन्हीं की मेडिकल दूकानों से दवा खरीदने को कहता है परिणाम स्वरूप मरीज इसकी आड़ में बड़ी लूट का शिकार हो रहा है। शासन व प्रशासन द्वारा इस पर अंकुश लगाने कोई पहल नही की जा रही है।
जानकारी के अनुसार दुर्ग भिलाई में लगभग एक दर्जन से अधिक सर्वसुविधा युक्त निजी अस्पताल संचालित है। जहां कई प्रकार के जटिल रोगों का उपचार किए जाने का दावा किया जा रहा है। इसमें हृदय मस्तिष्क,लीवर किडनी सहित कई रोग शामिल है।
इस परिस्थिति घराने के मरीज को उपचार मेंं कोई दिक्कत नही होती लेकिन जब मध्यम या गरीब वर्ग का कोई मरीज पहुंचता है तो उपचार की आड़ में वह सबकुछ लूटा बैठता है। इसके बाद भी इसके पूरी तरह के स्वस्थ होने की कोई गारंटी नही है। भगवान भरोसे ही वह सकुशल हो पाता है अन्यथा कई मरीजों की जान चली जाती है। दुर्ग भिलाई के निजी अस्पताल में कई मरीजों की जाने भी जा चुकी है लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन उपचार की पूरी रकम लेने से आगे रहा है।
दस रूपए की दवा मिलती है 40 रूपए में
दुर्ग भिलाई की हर निजी अस्पतालों के भीतर इनका अपना मेडिकल स्टोर्स संचालित है। इन मेडिकल स्टोर्स में दवा बेचने के नाम पर खुलेआम लूट मची हुई है। इनके द्वारा कई गुना अधिक दाम पर दवाईयों का विक्रय किया जा रहा है। बताया गया है कि जो दवाईयां बाजार मेंं दस रूपए में उपलब्ध है इसके लिए 40 रूपए वसूले जा रहे है जिस इंजेक्शन का मूल्य तीन हजार है इसके बारह हजार लिए जा रहे है। इन अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनो को बाहर से दवा खरीदने पर मनाही है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इनके केन्द्र में स्थित मेडिकल से ही दवा खरीदने के लिए कहा जाता है। एक तरह से निजी अस्पताल अपने आधे खर्चे की पूर्ति मेडिकल स्टोर्स से ही कर रहे है।
डाक्टरों की विजिट फीस भी अनापशनाप
निजी अस्पतालों द्वारा जटिल रोग के इलाज के लिए कई विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएंं ली जा रही है। इनका भी खर्चा अस्पताल प्रबंधन मरीजो की जेब से वसूल रहा है। भर्ती का किराया प्रतिदिन के हिसाब से सुविधाओं के साथ वैसे भी बेहिसाब है। इसके अतिरिक्त डाक्टरों की विजिट के नाम से अनापशनाप वसूली की जा रही है। विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का महज पांच मिनट ही औपचारिक परीक्षण करता है लेकिन मरीज के खाते में एक विजिट के नाम पर दो से पांच हजार जोड़ दिए जाते हैं।
बाहर से दवा खरीदने मिले छूट
निजी अस्पतालों द्वारा चिकित्सा सेवा के नाम पर की जा रही लूट पर रोक लगाने के लिए शासन व प्रशासन द्वारा कोई पहल नही की जा रही है। जबकि इस दिशा में कई बार ध्यानकर्षण कराया जा चुका है। निजी अस्पताल में दाखिल मरीज भर्ती व विजिट के नाम पर वैसे भी भारी भरकम फीस अदा कर रहे है। ऐसी स्थिति में अस्पताल की ही दूकानो से दवा खरीदने की बाध्यता उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा नुकसान पहुंचा रही है। मरीजो को अस्पताल की ही मेडिकल दूकानों की बजाय बाहर से दवा खरीदने की छूट के लिए शासन व प्रशासन की पहल अनिवार्य है।