विद्युत नियामक आयोग किसानों को राहत देने में विफल, पांच जिलो में सिंचाई पंपों में 6 घंटे की विद्युत कटौती जारी

दुर्ग(चिन्तक)। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई का किसान संगठनों ने विरोध किया है। किसानों का कहना है कि प्रदेश के पांच जिले के किसान अटल ज्योति योजना में सिंचाई पंपों की बिजली आपूर्ति में प्रतिदिन छह घंटे की कटौती पिछले 14 साल से झेल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता का कहना है कि अटल ज्योति योजना ग्यारह साल पहले से ही बंद हो गई है। लेकिन बिजली कटौती अभी तक वापस नही ली गई है। विद्युत नियामक आयोग किसानो को राहत दिलाने में विफल साबित हुआ है।

श्री गुप्ता ने सिंचाई पंपो को बिजली आपूर्ति की खराब गुणवत्ता की ओर आयोग का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि वोल्टेज के कारण पंप नही चल पाते और जरूरत के समय सिंचाई का पानी नही मिलने से फसलें सूख जाती है। इससे किसानो को भारी क्षति हो रही है। योजना के बंद हो जाने के बाद भी किसान इस त्रासदी को झेल रहे हैं।

श्री गुप्ता ने आगे कहा है कि पंप लाईन की बिजली आपूर्ति में अक्सर ब्रेक डाउन आता है। जिसमें समय पर सुधार करने के लिए कंपनी केे पास न तो पर्याप्त कर्मचारी है और न ही जरूरी सामग्री इसका खामियाजा किसानो को भुगतना पड़ रहा है। किसान संगठन के नेता ने आयोग का ध्यान इस बात के लिए आकर्षित किया कि कंपनी कुप्रबंधन ती शिकार है। पिछले 14 साल में लाईन लास बिजली चोरी और नान बिलिंग की समस्या का निराकरण नही कर पाई है। यही कंपनी के घाटे मेंं रहने का मुख्य कारण है। कंपनी केे कुप्रबंधन का ठीकरा टैरिफ में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं पर नही फोड़़ा जाना चाहिए।

श्री गुप्ता ने फीडर में पंप लगाने की बजाय सभी सिंचाई पंपो में मीटर लगान की मांग की है। उन्होने कहा है कि बिजली अनुदान की राशि डीबीटी के अंतर्गत उपभोक्ता किसान को उनके बैंक खाते में जमा किया जाना चाहिए। किसान नेता ने आयोग से आग्रह किया है कि वोल्टेज की समस्या को दूर करने के लिए कंपनी को निर्देश दिया जाना चाहिए। कंपनी अपने खर्चो से सिंचाई पंप से उपयुक्त केपिसीटर लगाए इसके लिए किसानो पर दबाब नही डाला जाना चाहिए।