लॉकडाउन 2.0: राज्यों को मिलेगा निर्णय का अधिकार
नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन और कोरोना वायरस से उपजे हालात की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद करेंगे। माना जा रहा है कि राज्यों के मुख्यमंत्री इस बैठक में पीएम के सामने प्रदेशों को आर्थिक पैकेज देने, प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने और उद्योग जगत के लोगों को राहत देने की मांग रख सकते हैं। ये बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जबकि हिंदुस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमण के करीब 27 हजार केस सामने आ चुके हैं। वहीं हाल में हुए तमाम घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पीएम के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में तमाम बड़े मुद्दों पर फैसले हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, पीएम राज्यों से रेल सेवाओं की बहाली, मजदूरों के पलायन, उद्योंगों के पुन: संचालन, अस्पतालों की व्यवस्थाओं समेत अन्य विषयों पर बातचीत करेंगे। इसके अलावा राज्यों की अलग-अलग मांगों पर भी मंथन होगा।
राज्यों को मिल सकती है फैसले लेने की छूट
सूत्रों का यह भी कहना है कि पीएम लॉकडाउन के बाद छूट देने का फैसला राज्यों के कंधे पर छोड़ सकते हैं। राज्यों की सरकारों ने इस पर सांकेतिक रूप से यह कहा भी है कि अगर पीएम 3 मई तक लॉकडाउन की अवधि पूरी करने के बाद प्रदेश की सरकारों को अपने तरीकों से आंशिक या पूर्ण रूप से छूट का फैसला लेने का अधिकार देते हैं, तो यह सबसे उपयुक्त स्थिति होगी। जानकार इस स्थिति को उन आंकड़ों के हिसाब से भी मुफीद मानते हैं, जिनमें कई प्रदेशों के कोरोना से मुक्त होने का दावा किया गया है। इसके अलावा कई राज्यों की पूरी अर्थव्यवस्था औद्योगिक क्षेत्र पर टिकी हुई है, ऐसे में इनके संचालन की स्थितियों पर फैसला भी प्रादेशिक स्तर पर लेना पक्ष में होगा। हालांकि यह जरूर है कि राज्यों को निर्णय का अधिकार देने की स्थिति में भी अंतरराज्यीय मूवमेंट की इजाजत, शैक्षिक संस्थाओं को शुरू करने के निर्णय और अन्य संवेदनशील विषयों पर राष्ट्र स्तरीय रणनीति ही लागू की जाएगी।
लॉकडाउन बढ़ाने की मांग कर सकते हैं शिवराज
मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी इस मीटिंग में शामिल होंगे। लोगों के सामने सवाल है कि क्या लॉकडाउन को लेकर भी कोई फैसला होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश की स्थिति को देखते हुए, शिवराज लॉकडाउन बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। भोपाल और इंदौर में कोरोना बेकाबू है। मरीजों की संख्या पूरे प्रदेश में 2100 के पार पहुंच गई है, जिसमें अकेले 1200 से ज्यादा मरीज इंदौर में हैं। वहीं, मौत का आंकड़ा भी 103 पहुंच गया है। ऐसी परिस्थिति में क्या लॉकडाउन में छूट मिलेगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसके संकेत शनिवार को ही कुछ हद तक दे दिया था। भोपाल, इंदौर और उज्जैन में किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई थी।
बाकी जिलों में मिलेंगी छूट
मध्यप्रदेश के 52 में 26 जिले कोरोना से संक्रमित हैं, इनमें 6 कोरोना के हॉटस्पॉट है। अगर लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइन के अनुसार कम संक्रमित वाले क्षेत्रों में छूट दी जा सकती है। वहीं, इंदौर और भोपाल के कलेक्टरों ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि इन जिलों में तो 3 मई तक कोई छूट की उम्मीद नहीं रखें।
फंड पर भी हो सकती है चर्चा
मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार पहले ही खजाना खाली होने को लेकर रोती रही है। शिवराज ने भी कहा था कि खजाना खाली है। हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए पिछले दिनों केंद्र की सरकार ने सभी राज्यों के लिए सीएसआर फंड रिलीज की थी। हो सकता है कि शिवराज भी कोरोना से जंग के लिए पीएम से कोई अलग पैकेज की मांग करें।
राज्यों के पास है लंबी लिस्ट
कोरोना वायरस की वजह से देश में लॉकडाउन है और इस संकट के दौर से निपटने के लिए मोदी सरकार लगातार किसी न किसी रणनीति पर काम कर रही है। इसी क्रम में वह तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी बात करते रहते हैं। अब तक दो बार पीएम मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग कर चुके हैं, आज तीसरी मीटिंग होगी। अब तक की मीटिंग में तो राज्यों की तरफ से कुछ न कुछ मांग होती ही है, लेकिन अब काफी दिन से लॉकडाउन होने की वजह से तमाम दिक्कतें सामने आ रही हैं। इस बैठक में लॉकडाउन के भविष्य पर भी फैसला होगा और ये भी तय होगा कि 3 मई के बाद क्या रणनीति रहेगी। ऐसे में राज्य पैसों से लेकर मेडिकल किट समेत तमाम चीजों की मांग कर सकते हैं। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ ठप है, जिसके चलते सरकारों का रेवेन्यू रुक गया है। ऐसे में हर राज्य का मुख्यमंत्री सबसे पहली चीज तो पैसा ही मांगेगा। वित्तीय सहायता के बिना लॉकडाउन में आगे की किसी भी रणनीति पर राज्य तैयार नहीं होंगे।
मेडिकल और टेस्टिंग किट की होगी मांग
बार-बार राज्यों की तरफ से मांग की जा रही हैं कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में मेडिकल और टेस्टिंग किट मुहैया कराई जाए। मेडिकल किट के अभाव में बहुत से मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा के बिना ही कोरोना के मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से खतरा बहुत बढ़ गया है। पिछली बार नीतीश कुमार ने पीपीई किट पर कहा था कि जितनी किट उन्होंने मांगी थीं, उतनी नहीं मिलीं। वहीं कोरोना पर काबू ना पा सकने की एक वजह आक्रामक टेस्टिंग की कमी भी है, लेकिन टेस्टिंग किट के अभाव में यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है।