चीफ जस्टिस ने कहा लोगों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी, चुनाव के नाम पर इसे अनदेखा नहीं कर सकते

बिलासपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने दयालबंद में आग लगने की घटना में दम घुटने से मां-बेटे के मौत के मामले को गंभीरता से लिया है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने इस घटना को लेकर संवेदना जताई साथ ही जिला प्रशासन व निगम प्रशासन की ओर से समय पर दमकल की व्यवस्था नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के बेंच में हुई। कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि देश में आम चनाव है इस कारण आम जनता की सुरक्षा व सुविधा को अनदेखा करना सहित नहीं। आम जनता के सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।

बता दें, हाईकोर्ट में प्रदेश के सड़कों को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में चल रही थी।

नई सड़कों के निर्माण के लिए निविदा जारी करने को लेकर जब महाधिवक्ता व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निविदा समेत आगे की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

चुनाव आचार संहिता के कारण आगे की प्रक्रिया एनएचएआइ और पीडब्ल्यूडी द्वारा पूरी नहीं की जा रही है। इस बीच महाधिवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि जनहित याचिका के कार्य को सामने रखकर अगर हाईकोर्ट निविदा जारी करने और निर्माण कार्य प्रांरभ करने का निर्देश जारी करे तो विभागीय प्रक्रिया के साथ ही निर्माण कार्य को प्रारंभ किया जा सकता है। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर डिवीजन बेंच ने आदेश जारी कर दिया।

सुनवाई के दौरान ही चीफ जस्टिस को दयालबंद में कुछ दिन पूर्व हुई आगजनी की घटना में मां-बेटे की दम घुटने से मौत की घटना पर संवेदना व्यक्त की। महाधिवक्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आप बताइए दयालबंद में दम घुटने से मां व बेटे की मौत हो गई।

कितनी भयावह घटना है। आप और हम सोच नहीं सकते। जिला प्रशासन की लापरवाही देखिए। दमकल चलाने के लिए ड्राइवर की व्यवस्था नहीं कर पाए। एक छुट्टी पर चला गया और एक रैली में व्यस्त रहा।

कितनी गलत बात है। प्रशासनिक कामकाज हो रहा है या नहीं। चुनाव के नाम पर आप ऐसे ही चलाते रहेंगे क्या। आम आदमी की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान तो रखना ही होगा। चुनाव के बहाने काम को तो नहीं छोड़ा जा सकता।

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