भ्रामक विज्ञापनों से मतदाताओं को भ्रमित करना पड़ेगा महंगा, चुनाव आयोग ने जारी किया फरमान
बिलासपुर| लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरो पर है। मतदान की तारीख की घोषणा होने के बाद से ही सभी राजनीतिक पार्टियां सक्रिय होकर मतदाताओं से संपर्क कर अपने प्रत्याशियों के जीत के लिए प्रचार कर रहे है। वहीं इसी बीच चुनाव आयोग ने भ्रामक विज्ञापनों से मतदाताओं को प्रयास करने पर सख्त कार्रवाई का फरमान जारी किया है। इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश दिए है। विज्ञापनों का प्रमाणीकरण आवश्यक कर दिया है।
बता दें, भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा आम निर्वाचन 2024 में इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया के साथ ही प्रिंट मीडिया में भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के प्रकाशन को रोकने के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं।
इसके तहत मतदान दिवस और उसके एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में प्रकाशित होने वाले राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणीकरण आवश्यक है।
निर्वाचन आयोग के इस संबंध में जारी परिपत्र के अनुसार लोकसभा निवार्चन के तीसरे चरण के मतदान के एक दिन पहले एवं मतदान दिवस यानि की 6 व 7 मई को प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों के प्रकाशन के पूर्व जिला अथवा राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन समिति से विज्ञानों का पूर्व प्रमाणन अनिवार्य किया गया है।
जानकारी के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को विज्ञापन को प्रमाणित कराने से पूर्व राज्य या जिला प्रमाणन समिति को प्रमाणन के लिए आवेदन देना होगा। आवेदन पर प्रमाणन समिति त्वरित निर्णय लेगी।
चुनाव के दौरान विज्ञापनों के माध्यम से मतदाताओं को अपनी ओर करने उनका वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियां भ्रामक विज्ञापनों का सहारा लेती है।
जिससे मतदाता प्रभावित हो जाता है बाद में पार्टियां विज्ञापन में कहीं गई बातों को पूरा नहीं करते है।
किसी भी तरह का भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने यह निर्देश जारी किया है।