भारत में हैं बड़े ही अजीबों गरीब गांव, हर घर का सदस्‍य है जहरीला कोबरा, तो कहीं हजारों पक्षी कर लेते हैं सुसाइड

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न्यूज़रूम| भारत में कई गांव हैं। हर गांव की अपनी परंपरा, संस्कृति, मान्‍यताएं और खूबी होती है, जिसके चलते वह दुनियाभर में मशहूर हो जाता है। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे गांवों के बारे में बताएंगे, जिसकी खूबी सुनने के बाद आप चौंक जाएंगे। जी हां, ये कोई साधारण गांव नहीं है। कहीं किंग कोबरा लोगों के दोस्‍त होते हैं। ये जहरीले सांप उनके साथ उनके घर में रहते हैं। तो कोई गांव पक्षियों के लिए श्राप बन गया है। एक गांव ऐसा भी है, जहां लोगों के जूते पहनने पर भी रोक है। तो आइए जानते हैं भारत के इन अजीबो गरीब गांवों के बारे में।

सोलापुर का नाम आपने कई बार सुना होगा। इस जिले में शेतफल नाम का एक छोटा सा गांव है। यहां हर घर में किंग कोबरा रहता है। यहां के लोग इससे डरते नहीं, बल्कि उसकी पूजा करते हैं। मजेदार बात तो यही है कि यह सांप इन्‍हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता।

एक गांव ऐसा भी है, जहां लोगों के जूते पहनने पर रोक है। यह गांव है तमिलनाडु के कोडईकनाल हिल स्‍टेशन के पास स्थिति वेल्लागवी । 200-300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में घर से ज्‍यादा मंदिर बने हुए हैं। यहां बाहर से आने वाले लोगों के लिए एक खास नियम बनाया गया हे। बाहर से आने वाला कोई भी व्‍यक्ति अगर जूते पहने पकड़ा गया, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है। शायद इसी वजह से इस गांव का सड़क से कोई संपर्क नहीं है, बल्कि यहां के लोग जंगलों के बीच से होकर गुजरते हैं।

एक शहर दो राज्‍यों से जुड़ा हो, यह तो सुना है। लेकिन एक गांव दो देशों से जुड़ा है, यह बड़ा अजीब लगता हे। भारत के नागालैंड में मोन जिले का एक गांव दो देशों के बीच बंटा हुआ है। लोंगवा से भारत और म्यांमार की सीमा गुजरती है। गांव के मुखिया के घर को काटते हुए इसे दो हिस्सों में विभाजित करती है। एक भारत में तो दूसरा म्यांमार में। कई रिपोर्ट बताती हैं कि भारत के अपने शासन के आखिरी दिनों में ब्रिटिश मानचित्रकारों द्वारा सीमा का निर्माण किया गया था। दोनों तरफ के ग्रामीण कोन्याक जनजाति के हैं। साल 1970-71 में यह रेखा खींची गई। दिलचस्‍प बात है कि राजा का परिवार म्यांमार में खाता है और भारत में सोता है।

बिहार में एक गांव एक वजह से काफी चर्चा में है। यहां 50 सालों तक किसी की बारात नहीं निकली। इसी वजह से अब इस गांव का नाम अनोखे गांव की लिस्‍ट में शुमार हो गया है। इस गांव का नाम है बड़वा कला। यहां 2017 में 50 साल बाद पहली बारात निकली थी। यह बिहार के कैमूर हिल्स के बड़वां गांव की सच्ची कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि 2017 तक इस गांव में कोई शादी नहीं हुई। इस गांव को बैचलर ऑफ विलेज के नाम भी जाना जाता था। गांव में 10 किमी की र्ट्रेकिंग करके ही पहुंचा जाता था। गांव वालों ने मिलकर एक सड़क खोद ली, जिससे शादी होना संभव हो गया।

असम में एक ऐसी जगह है, जो सामूहिक आत्‍महत्‍या के लिए प्रसिद्ध है। वह है जतिंगा नाम का एक गांव। जो सामूहिक पक्षी आत्महत्या की घटना के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि हर साल लगभग 1,000 पक्षी उड़कर गांव में आते हैं और मर जाते हैं। ऐसा हर साल सितंबर के महीने में होता है।

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