इलेक्टोरल बॉन्ड…CBI ने जगदलपुर में इन कंपनियों के 10 अफसरों को किया गिरफ्तार

जगदलपुर| इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला अब बस्तर गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड की जांच लगातार की जा रही है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी का अंदेशा हुआ और उन्होंने इसे भी जांच में ले लिया। इसी क्रम में CBI जांच करने जगदलपुर पहुंची।

CBI के मुताबिक 315 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार को लेकर नगरनार इस्पात संयंत्र के 8 व मेकॉन के 2 सहित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के अफसरों पर अपराध दर्ज किया है। इसके बाद करीब एक हफ्ते पहले सीबीआई की टीम ने अफसरों को गिरफ्तार कर लिया है।

CBI ने नगरनार संयंत्र के मुख्यालय से दस्तावेज व लैपटॉप भी जब्त किए हैं। संयंत्र में चल रहे कार्यों के बीच मेघा इंजीनियरिंग कंपनी के करीब 174 करोड़ के बिलों को पास करने अफसरों ने करीब 78 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। इस पर मेकॉन के अफसरों पर अपराध दर्ज किया है।

एफआईआर के मुताबिक 10 अगस्त 2023 को शुरू हुई जांच में ये सामने आया कि नगरनार के इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट में करीब 315 करोड़ की परियोजना के तहत इंटेक वेल, पंप हाउस व क्रॉस कंट्री पाइपलाइन के कार्यों का टेंडर जारी किया था।

इस मामले में काम हासिल करने भी अफसरों को मेघा इंजीनियरिंग ने रिश्वत दी थी। इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग को ही काम अवाॅर्ड कर दिया था। दरअसल, इस मामले की शुरुआती जांच के बाद 18 मार्च को रिश्वत लेने का मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई।

इसके बाद 31 मार्च को दूसरी एफआईआर सीबीआई ने लिखवाई। इसमें नगरनार इस्पात संयंत्र के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक रहे प्रशांत दाश, ज्वाइंट जीएम डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइयां, डीएम नरेश बाबू, वरिष्ठ प्रबंधक शुभ्रो बैनर्जी, सेवानिवृत्त सीजीएम एल कृष्णमोहन, जीएम के. राजशेखर, प्रबंधक सोमनाथ घोष पर 73.85 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।

वहीं, मेकॉन के दो अफसर एजीएम संजीव सहाय और डीजीएम (अनुबंध) के. इलावरसु पर 174.41 करोड़ रुपए का भुगतान करने 5.01 लाख का भुगतान जीएम सुभाषचंद्र संग्रास से 73 चालानों के रूप में प्राप्त करने का आरोप भी लगाया है।