शहर के उद्यानों में व्यायाम के लिए रखे गए उपकरण बने कबाड़, संधारण व रख रखाव के अभाव मे बने अनुपयोगी, नही मिल रहा है लाभ

शेयर करें

दुर्ग (चिन्तक)। शहर के विभिन्न वार्डो मे स्थित उद्यानोंं में रखे गये खेलकूद और व्याया के उपकरण रख रखाव और संधारण के अभाव में कबाड़ का पर्याय बन गये है। फलस्वरूप इसका उपयोग नही हो पा रहा है और शहर के नागरिक भी व्यायाम के शारीरिक लाभ से वंचित है। नगर निगम द्वारा इन उपकरणों को सुधारकर उपयोगी बनाने की दिशा में कोई पहल नही की जा रही है।
जानकारी के अनुसार शहर के साठ वार्डो में दो दर्जन से अधिक उद्यान है। इनमें से कई गार्डन का निर्माण अमृत मिशन के तहत किया गया है। परिणाम स्वरूप एक एक गार्डन के निर्माण में बीस से पच्चीस लाख रू. खर्च किये गये हैं। गार्डन को आकर्षक बनाने के लिए रंग रोगन भी किया गया है और गार्डन के भीतर बच्चों के खेलकूद तथा नागरिको के शारीरिक व्यायाम के लिए उपकरण भी रखे गये है।

गार्डन के शुरू होने के बाद कुछ महीनो तक इसका उपयोग भी होता रहा है। लेकिन लगातार उपयोग के बाद उपकरण के संधारण व मरम्मत की दिशा में नियमित रूप से ध्यान नही दिए जाने पर उपकरण के अंजर पंजर ढीले पड़ गये है। पदमनाभपुर के गार्डन में रखे गये उपकरण का हाल बेहाल है। कई गार्डन में तो उपकरणों के पार्टस तक गायब है और वे कबाडिय़ो की शोभा बढ़ा रहे है।
नगर निगम द्वारा गार्डन का निर्माण तो कर दिया गया है लेकिन इसकी सुविधाओं के प्रति कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।

सुबह शाम टहलने के लिए आते है लोग
वार्डो में स्थित गार्डन का निर्माण नागरिको को ताजी हवा के साथ शारीरिक लाभ दिलाने के उद्देश्यों से किया गया है। सुबह व शाम को शहर के लोग फुर्सत में समय निकालकर टहलने जाते है। कुछ लोग व्यायाम करके शारीरिक रूप से चुस्त व दुरूस्त रहने की इच्छा रखते है लेकिन नागरिकों को इसका लाभ नही मिल रहा है।

उपकरण के पार्टस पहुंचे कबाडिय़ों के पास

उद्यान में रखे गये उपकरणो का निर्माण लोहे से किया गया है। रख रखाव व संधारण के आभाव का पूरा फायदा कबाड़ी उठा रहे है। कई गार्डन में उपकरण के आधे से ज्यादा पार्टस गायब है। केवल जमीन से गड़े हुए लोहे को छोड़ दिया गया है। बाकी अन्य सामानो का विक्रय कबाडिय़ो को कर दिया गया है।

 

You cannot copy content of this page