छत्तीसगढ़ की बदौलत अब देश में ही बनेगी बैटरी: कम हो सकती है EV वाहनों की कीमत, देश के पहले लिथियम खदान की हुई नीलामी
रायपुर। देश ही नहीं दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इन वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लिथियम है। बैटरी बनाने के लिए लिथियम अभी विदेश से आता है। इसी वजह से उसकी कीमत ज्यादा है, लेकिन अब छत्तीगसढ़ की बदौलत लिथियम बैटरी देश में ही बनेगी। प्रदेश में स्थित पहले लिथियम भंडार की नीलामी हो गई है। यह देश का पहला लिथियम भंडार है।
बताते चले कि देश में अब तक छत्तीसगढ़ और जम्मू- कश्मीर में लिथियम के भंडार मिले हैं। छत्तीसगढ़ के कटघोरा स्थित पहले लीथियम खदान की नीलामी की जानकारी सोमवार को केंद्र सरकार ने सार्वजनिक की। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी तथा कोयला और खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने स्कोप कन्वेंशन सेंटर, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी के चौथे दौर की शुरुआत करते हुए यह जानकारी दी।
माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने देश के इस पहले लिथियम ब्लॉक का टेंडर हासिल किया है। छत्तीसगढ़ में कटघोरा लिथियम और दुर्लभ खनिज (आरईई) ब्लॉक कंपनी को 76.05 प्रतिशत के नीलामी प्रीमियम पर दिया गया।
छत्तीगसढ़ के कटघोरा में लिथियम मिलने की पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की है। कटघोरा से लगे ग्राम घुचापुर के पास लिथियम का जो खदान जमीन के नीचे मिला है वो 250 हेक्टेयर में फैला है। जीएसआई के प्रारंभिक सर्वे में ही कटघोरा क्षेत्र में लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 10-2000 पीपीएम लीथियम कंटेन्ट पाया गया है। इस ब्लॉक में रेयर अर्थ एलीमेंट की भी मौजूदगी पाई गई है।
दुर्लभ धातु या रेयर अर्थ एलिमेंट में शामिल लीथियम का घनत्व कम होता है। रासायनिक दृष्टि से यह काफी अहम माना जाता है, क्योंकि इसे छार धातु ग्रुप का माना गया है। लिथियम उपयोग मुख्य रुप से बैटरी बनाने में किया जाता है। कई तरह की रिचार्ज होने वाली बैटरियां भी इससे बनाई जाती है। रिचार्ज होने वाली बैटरियों का उपयोग मुख्य रुप से वाहनों के साथ ही मोबाइल और लैपटाप आदि में होता है।