एक जुलाई से चार सौ बीसी नहीं रहेगी…हो जाएगी 316, हत्या भी 302 नहीं हो जाएगी 101, जानें नए कानून में और क्या बदला
बिलासपुर| छत्तीसगढ़ समेत देशभर में 1 जुलाई 2024 से कई नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं। तीन नए आपराधिक कानूनों जैसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम(BSS) 2023 को लागू किया जाएगा। इन विधेयकों को वर्ष 2023 में संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था। तीन नए कानूनों को लेकर लोगों के जेहन में कई तरह के सवाल हैं। महज चार दिन बाद पुलिस, जांच और न्यायिक व्यवस्था का चेहरा बदल जाएगा।
नए कानून के मुताबिक अब धारा 68, 69 के तहत पहचान छिपाकर शादी करना या शादी का झूठा वादा कर यौन कृत्य करने को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। धारा 70 में सभी प्रकार के सामुहिक दुष्कर्म के लिए 20 वर्ष या आजीवन कारावास का प्रावधान है। धारा 89 में महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराने पर आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
इस नए कानून के बारे रायपुर-जशपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ जानकारी दी जा रही है। जशपुर पुलिस अधीक्षक जशपुर शशि मोहन सिंह एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में वरिष्ठ कार्यालय से प्राप्त निर्देशों के अनुक्रम में जशपुर पुलिस द्वारा जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से जिला स्तरीय महत्वपूर्ण कार्यशाला एवं जनजागरूकता रैली का आयोजन किया गया। कलेक्टर जशपुर डॉ. रवि मित्तल द्वारा संबोधित कर कहा गया कि नए कानून न्याय को सरल बनाएंगे लोगों को कानूनी रूप से सशक्त बनाया जाएगा।
इन तीन कानूनों को विस्तार से जानिए
- अब कोई व्यक्ति संचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट कर सकता है, इसके लिए उसे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नहीं है। इससे रिपोर्टिंग आसान और त्वरित होगी, जिससे पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई सुगम होगी। (बीएनएस की धारा 173)
- जीरो एफआईआर शुरू होने से, कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन पर प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो। इससे कानूनी कार्यवाहियां शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की तुरंत रिपोर्ट करना सुनिश्चित होगा। (बीएनएस की धारा 173)
- पीड़ितों को एफआईआर की निःशुल्क प्रति प्राप्त होगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। (बीएनएस की धारा 173)
- गिरफ़्तारी की स्थिति में, व्यक्ति को उनकी इच्छा के व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार है। इससे गिरफ़्तार व्यक्ति को तत्काल सहायता और सहयोग सुनिश्चित होगा। (बीएनएस की धारा 36)
- गिरफ्तारी का विवरण अब पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्रों को महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से मिल सकेगी। (बीएनएस की धारा 37)
- मामले और जांच को मजबूत करने के लिए, फॉरेंसिक विशेषज्ञों का गंभीर अपराधों के लिए अपराध स्थलों का दौरा करना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य हो गया है। इसके अतिरिक्त, साक्ष्यों से छेड़छाड़ को रोकने के लिए अपराध स्थल पर साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी की जाएगी। इस द्विआयामी नीति से जांच की गुणवत्ता और विश्वसनीयता काफी बढ़ जाएगी और निष्पक्ष रूप से न्याय दिलाने में योगदान मिलेगा। (बीएनएस की धारा 176)
- नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, ताकि सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी हो सके।(बीएनएस की धारा 193)
- पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति के बारे में नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार है। इस प्रावधान से पीड़ितों को सूचित रखा जा सकेगा और वे कानूनी प्रक्रिया में शामिल रहेंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विश्वास बढ़ेगा। (बीएनएस की धारा 193)
- नए कानून महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निःशुल्क प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार की गारंटी देते हैं। यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण समय में पीड़ितों की कुशलता और स्वास्थ्य लाभ को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक चिकित्सा देखभाल तक तत्काल पहुंच सुनिश्चित करता है। (बीएनएस की धारा 397)
- अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से समन की तामील की जा सकती है, जिससे कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी आएगी, कागजी कार्रवाई कम होगी और सभी संबंधित पक्षों के बीच समुचित संवाद सुनिश्चित होगा। (बीएनएस की धारा 64, 70, 71)
- महिलाओं के विरुद्ध कुछ अपराधों में पीड़िता के बयान, जहां तक संभव हो, महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए जाने चाहिए और अगर महिला मजिस्ट्रेट अनुपस्थित हों, तो महिला की उपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए जाने चाहिए, ताकि संवेदनशीलता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके तथा पीड़ितों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा सके। (बीएनएस की धारा 183)
- आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट/चार्जशीट, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है। (बीएनएस की धारा 230)
- (13) सीमित स्थगन: मामले की सुनवाई में अनावश्यक देरी से बचने के लिए न्यायालय अधिकतम दो स्थगन प्रदान कर सकते हैं, जिससे समय पर न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। (बीएनएस की धारा 346)
- नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने, कानूनी कार्यवाही की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए गवाह सुरक्षा योजना को अनिवार्य किया गया है। (बीएनएस की धारा 398)
- जेंडर की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं, जो समावेश और समानता को बढ़ावा देगा। (बीएनएस की धारा 2(10))
- सभी कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक मोड में होना: नए कानूनों में सभी कानूनी कार्यवाहियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित करके, पीड़ितों, गवाहों और अभियुक्तों को सुविधा प्रदान की गई है, जिससे पूरी कानूनी प्रक्रिया सुव्यवस्थित और त्वरित होगी। (बीएनएस की धारा 530)।
- पीड़िता को अधिक सुरक्षा प्रदान करने तथा बलात्कार के अपराध से संबंधित जांच में पारदर्शिता लाने के लिए पुलिस पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से रिकॉर्ड करेगी। (बीएनएस की धारा 176)।
- महिलाओं, 15 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों, 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों तथा विकलांग या गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन जाने से छूट दी गई है तथा वे अपने निवास स्थान पर पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं। (बीएनएस की धारा 179)।
- महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर कार्रवाई करने तथा उनकी सुरक्षा और उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए बीएनएस में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। (बीएनएसका अध्याय V)।
- नए कानून में छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है, जिससे व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा मिलता है। सामुदायिक सेवा के तहत, अपराधियों को समाज में सकारात्मक योगदान देने, अपनी गलतियों से सीखने और मजबूत सामुदायिक बंधन बनाने का मौका मिलता है। (बीएनएस की धारा 4, 202, 209, 226, 303, 355, 356)।