हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मामले का हवाला देते हुए सुनाया फैसला, अंतिम संस्कार विवाद का मामला

बिलासपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई। इसमें मृत बुजुर्ग मां के अंतिम संस्कार करने के मामले में अपील है। दरअसल मृतिका के दो बेटे में एक हिन्दू तो दूसरा ईसाई धर्म को मानता है। मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए ईसाई कब्रिस्तान नहीं होने पर ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे। इस पर बेटे ने कोर्ट का सहारा लेते हुए माता की अंतिम संस्कार ईसाई धर्म से गांव में ही करने अनुमति मांगी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मृत व्यक्ति पर भी मानवीय गरिमा का अधिकार लागू होता है। उसी के तहत अपनी जन्मभूमि में दफन होने का अधिकार है। मां जिस बेटे के साथ रहती थी उसी की रीति से अंतिम संस्कार करने आदेश दिया। इसके तहत ईसाई रीति से अपनी निजी जमीन में अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी है।

बता दें, मामला बस्तर जिले के परपा थाना क्षेत्र का है। जहां पर एर्राकोट में बुजुर्ग की मौत के तीन दिन बाद भी दो बेटों के होते हुए अंतिम संस्कार के लिए सहमति नहीं बन सकी थी। इसी मामले में हाईकोर्ट में जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने सुनवाई हुई।

एर्राकोट निवासी पाण्डो कश्यप उम्र 70 वर्ष की 28 जून की रात बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इसके दो पुत्र है। मृतिका ईसाई धर्म को मानने वाले छोटे बेटे रामलाल के साथ रहती थी। जबकि बड़ा बेटा खुल्गो कश्यप जो हिन्दू धर्म को मानता है। अपने परिवार के साथ कोंडागांव के पास एक गांव में रहता है।

मृतिका के अंतिम संस्कार में धर्म आड़े आने लगा छोटा पुत्र अपनी मां का अंतिम संस्कार ईसाई रीति से करना चाहता था किंतु ग्रामीण ईसाई कब्रिस्तान नहीं होने के कारण इसका विरोध किए। इस पर इसाई धर्म मानने वाले पुत्र ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी।

हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस पीपी साहू ने सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद लतीफ आगरे मामले का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के प्राधिकारियों को मृतिका की बॉडी को छोटे बेटे राम लाल को सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही एसपी बस्तर को अंतिम संस्कार के दौरान याचिकाकर्ता को सुरक्षा देने के निर्देश दिए है।