कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता हुए बुजुर्ग: दूसरी पंक्ति को मिले मौका, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में युवा वर्ग का प्रदर्शन रहा है प्रभावी

दुर्ग (चिन्तक)। शहर व जिले में लंबे समय से सत्ता का सुख भोग रहे कांग्रेस के कई नेता अब बुजुर्ग की कतार में शामिल हो गये हैं। इन नेताओं को अब मार्ग दर्शक की भूमिका निभाने की जरूरत है और दूसरी पंक्ति के युवा नेताओं को आगे लाने की दरकार है। वैसे भी विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में युवाओं का प्रदर्शन प्रभावी रहा है।
यहां गौरतलब है कि शहर व जिला कांग्रेस में कांग्रेस के कई ऐसे नेता है जिन्हें सत्ता का लाभ लंबे समय से मिलता रहा है। विधानसभा हो या लोकसभा कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं को ही टिकट देती रही है जिसके कारण दूसरी पंक्ति के नेता हमेशा उपेक्षित रहे हैं।

लोकसभा के चुनाव में पहली बार युवा राजेन्द्र साहू को मौका मिला है। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व मंत्री रविन्द्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, अरूण वोरा, आर.एन.वर्मा सहित अन्य नेताओंं को मौका मिला है। पिछले चुनाव से ये सभी नेता हाशिए पर है। रविन्द्र चौबे पिछले विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। इसी तरह ताम्रध्वज साहू भी विधानसभा के बाद लोकसभा का चुनाव हार चुके है। इन दोनो नेताओ की उम्र 70 वर्ष के आसपास है। पूर्व विधायक अरूण वोरा भी 65 वर्ष के हो चुके हैं। अगले चुनाव तक 70 वर्ष के करीब पहुंच जाएंगे।

पूर्व महापौर आर.एन.वर्मा भी 65 वर्ष के आसपास है। पिछड़ा वर्ग आयोग के राज्य उपाध्यक्ष रह चुके हैं। माना जा रहा है कि अगले निगम चुनाव में श्री वर्मा स्वयं की दावेदारी करने की बजाय किसी युवा को आगे लाने का प्रयास करेंगे। बुजुर्ग हो चुके उक्त नेताओं की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे युवा वर्ग को आगे आने का मौका देकर पार्टी के प्रति सही निष्ठा का प्रदर्शन करें इससे कांग्रेस को मजबूत बनाने का नया रास्ता बनेगा।
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि शहर व जिला कांग्रेस में कई ऐसे युवा नेता है जिनका प्रदर्शन प्रभारी रहा है। युवा नेता दीपक दुबे राजनांदगांव लोकसभा के चुनाव में सक्रिय रहे हैं। विधानसभा में वैशाली नगर में काम किया है। दुर्ग शहर में युवा नेताओं में राजेन्द्र साहू, निगम महापौर धीरज बाकलीवाल, निगम सभापति राजेश यादव, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जयंत देशमुख, प्रोफेसनल कांग्रेस के क्षितिज चंद्राकर, दीप सारस्वत, संजय कोहले, भोला महोबिया, हमीद खोखर का प्रदर्शन प्रभावी रहा है।

निगम महापौर धीरज बाकलीवाल व सभापति राजेश यादव ने कड़ी मेहनत की है। युवाओं के कारण ही कांग्रेस मैदान में लड़ाई लड़ती दिखलाई पड़ी है। इससे कार्यकर्ताओं का उत्साह भी दो गुना हुआ है। इस लिहाज से अब आगामी चुनाव में युवा वर्ग को आगे लाने की आवश्यकता है। यदि बुजुर्ग नेताओं ने समय रहते अपनी जिम्मेदारी नही समझी और सत्ता के लोभ को अपने से दूर नही किया तो इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।