हाईकोर्ट पहुंचा RTE में एडमिशन का मामला : जानिये…. डीपीएस समेत अन्‍य बड़े स्‍कूलों में दाखिले की स्थिति

बिलासपुर। शिक्षा के अधिकार कानून का निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा उड़ाए जा रहे मखौल के चलते गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। नोडल अफसर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। आरटीई कानून का सख्ती से पालन कराने और बच्चों को निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने निजी स्कूल प्रबंधन के अड़ियल रवैया और राज्य शासन द्वारा नियुक्त नोडल अफसरों की बेपरवाही के चलते केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का प्रदेश में पालन ना होने की बात कही है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

प्रदेश के प्रमुख निजी स्कूलों में आरटीई एक्ट के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश नहीं मिलने पर हाई कोर्ट ने राज्य शासन से जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित की गई है। भिलाई के वरिष्ठ सामजिक कार्यकर्ता सीवी भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि सिंह के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( ईडब्ल्यूएस ) के बच्चों के लिए यह प्रविधान शिक्षा के अधिकार में किया गया है कि निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रहेगी। नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर एक किलोमीटर की परिधि में रहने वाले बच्चों को निजी स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पा रहा हो तो तीन किमी या अधिक के दायरे में स्थित निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा।

इस मामले में पूर्व में चार दर्जन निजी स्कूल प्रबंधन को पक्षकार बनाया गया था। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निजी स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश पर निजी स्कूल प्रबंधन ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से जवाब पेश कर दिया है। शुक्रवार को जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि प्रदेश में आरटीई एक्ट के तहत रिक्त 59 हजार सीटों के लिए करीब एक लाख 22 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से सिर्फ रायपुर जिले में पांच हजार सीटों के लिए 19 हजार प्रवेश आवेदन मिले हैं। टाप 19 स्कूल जिनमें राजकुमार कालेज , डीएवी ,डीपीएस समेत कई बड़े स्कूल शामिल हैं , यहां बमुश्किल तीन प्रतिशत ही प्रवेश हो रहा है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीब तबके के बच्चों के प्रवेश सुनिश्चित कराने के लिए राज्य शासन ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी है। नोडल अधिकारियों को अपने प्रभार वाले स्कूलों की जानकारी लेनी है और बच्चों को प्रवेश दिलाना है। अफसरों के ध्यान ना देने के कारण बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इसका खामियाजा पालकों को भुगतना पड़ रहा है।