भगवंत मान का पेरिस दौरा रद्द… विदेश जाने के लिए मुख्यमंत्रियों को किस-किस से लेनी पड़ती है अनुमति, क्या है प्रोसेस?
न्यूज रूम| पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पेरिस ओलंपिक में हॉकी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के लिए फ्रांस जाने वाले थे, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके विदेश दौरे को मंजूरी नहीं दी| नतीजतन, उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा| ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री को विदेश जाने से पहले किस-किस विभाग से परमिशन लेनी होती है| क्या पहले भी भारत के किसी मुख्यमंत्री को विदेश यात्रा के लिए मंजूरी नहीं मिली है? आइए जानते हैं…
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रिटेन पर जीत हासिल कर सेमीफाइनल में जगह बना ली है| टीम जब क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी तो खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पेरिस जाने वाले थे| लेकिन केंद्र सरकार ने उनके विदेश दौरे को मंजूरी नहीं दी, जिस कारण वो फ्रांस नहीं जा सके| ऐसे में सवाल उठता है कि कब-कब मुख्यमंत्री को विदेश जाने से रोका जा सकता है?
भगवंत मान 3 से 9 अगस्त तक पेरिस जाना चाहते थे| उन्होंने तर्क दिया कि पंजाब के 19 खिलाड़ी ओलंपिक में हैं| इस नाते वहां जाकर उनका हौसला बढ़ाना उनकी ड्यूटी है| मंजूरी नहीं मिलने पर सीएम मान ने कहा कि पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है| रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षा कारणों का हवाला देकर केंद्र की तरफ से उनकी विदेश यात्रा को मंजूरी नहीं दी गई है|
केंद्र मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को विदेश दौरे से पहले अलग-अलग डिपार्टमेंट से अप्रूवल लेना होता है| केंद्र और राज्य मंत्रियों को क्लियरेंस मिलने के प्रोसेस में फर्क होता है| किसी राज्य के मुख्यमंत्री को अगर निजी या काम के सिलसिले से विदेश यात्रा करनी है, तो उन्हें पॉलिटिकल और FCRA (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेटिंग एक्ट) क्लियरेंस लेना जरूरी होता है| अगर कोई सांसद संसद सत्र के दौरान निजी यात्रा पर जा रहा है, तो उसे प्रधानमंत्री की मंजूरी भी जरूरी होती है|
कैबिनेट सचिवालय की ओर से 2015 में जारी एक सर्कुलर के अनुसार, मुख्यमंत्री को विदेश दौरे पर जाने से पहले कैबिनेट सचिवालय और विदेश मंत्रालय को सूचित करना होता है| मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकारों के मंत्रियों के मामले में, आवेदन की एक काॅपी इकोनॉमिक अफेयर्स के सचिव को भी भेजी जानी चाहिए| इनके अलावा प्रधानमंत्री ऑफिस को मुख्यमंत्री या किसी राज्य के मंत्री की विदेश यात्रा के बारे में बताना जरूरी होता है|
पॉलिटिकल क्लियरेंस विदेश मंत्रालय की तरफ से दिया जाता है| यह केवल मुख्यमंत्री या सांसदों ही नहीं, बल्कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को विदेश यात्रा के लिए जरूरी है| हर महीने विदेश मंत्रालय को अलग-अलग मंत्रालयों, सचिवों, नौकरशाहों और अधिकारियों से पॉलिटिकल मंजूरी के लिए सैकड़ों अनुरोध मिलते हैं|
मंजूरी देने से पहले तमाम चीजों को परखा जाता है, जैसे कि संबंधित आयोजन क्या है, दूसरे देशों की भागीदारी का स्तर, किस प्रकार का निमंत्रण दिया गया है और मेजबान देश के साथ भारत के संबंध कैसे हैं| इसके अलावा मंत्री की सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम को देखकर पॉलिटिकल क्लियरेंस मिलता है| जानकारी के मुताबिक, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सुरक्षा कारणों से पेरिस जाने की मंजूरी नहीं मिली है|
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने सीएम मान के आवेदन को इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें जेड-प्लस सिक्योरिटी मिली हुई है| यह VIP और VVIP लोगों को दी जाती है| मुख्यमंत्री के अलावा जरूरत के आधार पर खिलाड़ियों और फिल्मी सितारों को भी Z+ सिक्योरिटी घेरा मिलता है| इसमें करीब 50 जवान VIO की 24 घंटे सुरक्षा करते हैं| इतने कम समय में भगवंत मान के लिए विदेश में सुरक्षा का प्रबंध कर पाना संभव नहीं है| बताया जा रहा है कि इसी वजह से उनको पेरिस जाने की परमिशन नहीं मिली|
लोकसभा सांसदों को स्पीकर से और राज्यसभा सदस्यों को चेयरमैन (भारत के उपराष्ट्रपति) से मंजूरी की आवश्यकता होती है| इस तरह हर पब्लिक सर्वेंट को अलग-अलग लोगों से इजाजत लेनी पड़ती है| 2016 तक, पॉलिटिकल क्लियरेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया जाता था|
अगर विदेश यात्रा में संयुक्त राष्ट्र (UN) के अलावा अन्य संस्थाओं की हॉस्पिटैलिटी शामिल है, तो गृह मंत्रालय से FCRA मंजूरी की आवश्यकता होती है| FCRA की धारा 6 में कहा गया है कि ‘कोई भी सांसद या विधायक या न्यायाधीश या सरकारी कर्मचारी विदेश दौरे के दौरान बाहर से किसी भी तरह का आतिथ्य सत्कार स्वीकार नहीं कर सकता है|’ हालांकि, अगर केंद्र सरकार से उसको लेकर पहले ही परमिशन ले ली गई है, तो हॉस्पिटैलिटी ले सकते हैं| इसके लिए यात्रा से पहले FC-2 फॉर्म भरना होता है|
FCRA के फॉर्म में बताया जाता है कि विदेश दौरा क्यों जरूरी है, क्या विदेश मंत्रायल से मंजूरी मिल गई है और वहां किस तरह की हॉस्पिटैलिटी दी जाएगी| फॉरेन हॉस्पिटैलिटी को स्वीकार करने की परमिशन पाने के लिए यह फॉर्म यात्रा से करीब 2 हफ्ते पहले भर देना होता है| आवेदन में देरी होने पर FCRA क्लियरेंस रोका जा सकता है|
गृह मंत्रायल की ओर से 2022 में जारी ज्ञापन के अनुसार, इस तरह की विदेश यात्रा में FCRA क्लियरेंस की जरूरत नहीं होती-
- जिस विदेश यात्रा का पूरा खर्च केंद्र/ राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है|
- जो विदेश यात्रा किसी व्यक्तिगत मकसद से की जा रही हो और उस पर होने वाला पूरा खर्च संबंधित व्यक्ति द्वारा उठाया जा रहा है|
- जहां विदेश में रहने वाले किसी भारतीय नागरिक द्वारा आतिथ्य दिया जा रहा हो|
भगवंत मान पहले ऐसे मुख्यमंत्री नहीं हैं, जिनको विदेश यात्रा के लिए मंजूरी नहीं दी गई| इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अलग-अलग कारणों से बाहर जाने की मंजूरी नहीं मिल पाई है| साल 2022 में केजरीवाल को सिंगापुर सरकार ने एक ग्लोबल कॉन्क्लेव में दिल्ली मॉडल के बारे में बताने के लिए बुलाया था| लेकिन उन्हें इसलिए समय से क्लियरेंस नहीं मिल पाया क्योंकि उन्होंने अप्रूवल मांगने में देरी कर दी| इससे पहले साल 2019 में भी अरविंद केजरीवाल को विदेश में एक इवेंट में शामिल होने की मंजूरी नहीं मिली थी| दिल्ली के सीएम को विदेश में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए जाना था| लेकिन केंद्र सरकार ने यह कहते हुए पॉलिटिकल क्लियरेंस नहीं दी कि ये शिखर सम्मेलन मेयर स्तर का है, इसमें मुख्यमंत्री का जाना ठीक नहीं है|