अतिक्रमण और बेतरतीब पार्किंग से व्यापारियों का व्यवसाय हुआ चौपट, इंदिरा मार्केट की दशा सुधारने में निगम प्रशासन नही कर रहा पहल
दुर्ग । एक जमाने में शहर के सबसे टाप मार्केट के रूप में शुमार इंदिरा मार्केट दुर्दशा के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। बेतरतीब ढंग से खड़ी होने वाली गाड़ियों व अतिक्रमण से व्यापारियों का व्यवसाय लगभग चौपट होने की कगार पर है। परिणाम स्वरूप कई व्यापारी इंदिरा मार्केट से अपना कारोबार समेटकर दीगर जगह पलायन करने की तैयारी कर रहे है। कई दूकानदारो ने अपनी दूकानो में दूकान बेचना है का बोर्ड भी लगा दिया है।
इंदिरा मार्केट के पूरे क्षेत्र में सैकड़ो व्यापारियों की दूकानें है जो विविध प्रकार का व्यवसाय करते है लेकिन मार्केट के व्यवसायी पार्किग व्यवस्था और अतिक्रमण से सबसे ज्यादा परेशान है। नगर निगम द्वारा पार्किंग के लिए बकायदा ठेका दिया गया है लेकिन पार्किंग की जगह खाली नजर आती है और विभिन्न दूकानो के आसपास वाहनों का जमावड़ा बना रहता है।
पार्किं ग ठेकेदार के एजेंट अव्यवस्थित ढंग से खड़े होने वाले वाहनो से पार्किग शुल्क की वसूली बराबर करते हैं लेकिन वाहनो की पार्किंग स्थल में नही ले जातेे इससे व्यवसायियों की दूकानो के सामने वाहनो के जमावड़े से ग्राहक दूकान तक नही पहुंच पाते है और व्यवसायी का व्यापार प्रभावित होता है। यह सिलसिला लंबे समय से बना हुआ है नगर निगम के बाजार विभाग से लेकर निगम आयुक्त मौन साधे बैठे है। इंदिरा मार्केट में इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्थल पूरी तरह से अतिक्रमणकारियों की चपेट में है। इस खाली जगह में निगम का बाजार विभाग रोज दूकान लगाने देता है इससे पहले त्यौहार सीजन में ही यहां दूकाने लगती थी। बाजार विभाग व पार्किंग ठेकेदार के गठजोड़ को भी बाजार की व्यवस्था बिगडऩे का कारण माना जा रहा है।
निगम को प्रतिमाह मिलता है लाखों का राजस्व
इंदिरा मार्केट से नगर निगम को प्रतिमाह लाखों का राजस्व मिलता है । लेकिन इसके अनुपात में व्यवस्था का हाल बेहाल है। वाहनो के जमावड़े के कारण कई बार बाजार के भीतर प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है। शौचालयों की हालत सबसे बद्तर है। साफ सफाई का काम नियमित नही है। शौचालय की टंकी का पानी लगातार बहते रहता है। पूरा बाजार क्षेत्र व पार्किंग कचरे से भरा हुआ है। निगम के बाजार विभाग के साथ स्वास्थ्य विभाग की भी इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है।