आकाशीय बिजली से बचाएगा दामिनी एप, अनहोनी से पहले ही कर देगा अलर्ट

रायपुर| रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में तेज बारिश हो रही है। इस दौरान बिजली गिरने की 7जानकारी मिली है। पिछले दिनों ही बलौदाबाजार में आकाशीय बिजली गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई थी।  इसे देखते हुए सरकार ने नई व्यवस्था बना दी है। दरअसल, आकाशीय बिजली घटित होने के कारण जन एवं पशु हानि की घटनाओं से निपटने के लिए दामिनी एप्प विकसित किया गया है। इस मोबाइल एप से आकाशीय बिजली घटित होने की पूर्वानुमान (20 से 31 किलोमीटर का दायरा), आवश्यक तैयारी एवं उपाय की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

छत्तीसगढ़ के जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से जन एवं पशु हानि की बढ़ती घटना को दृष्टिगत रखते हुए शासन ने सभी विभाग प्रमुखो एवं मैदानी अमलों को दामिनी एप डाउनलोड करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अधिक से अधिक लोगों को इस एप्प को डाउनलोड करने की अपील की है। दामिनी एप को गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से किसी भी एंड्रॉइड मोबाइल पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके साथ ही मेघदूत एप्प  तापमान, वर्षा की स्थिति, हवा की गति एवं दिशा से सम्बंधित है जिससे किसान अपने क्षेत्र की मौसम से संबंधित पूर्वानुमान की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

मौसम विभाग के अनुसार दामिनी एप का इस्तेमाल सबको करना चाहिए खासतौर पर को लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते है उनके लिए ये ज्यादा कारगर साबित होगा, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में बिजली गिरने से होने वाली मौत के आंकड़े काफी कम हैं। इसकी एक वजह है घरों की बनावट। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून के दौरान खेतों में पानी भर जाता है, साथ ही कई पेड़ भी ऐसे होते है जिसके नीचे नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है। बिजली गिरने के बाध्य सबसे ज्यादा बुरा असर पूर्वी प्रदेश, बिहार, झारखंड ,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पड़ता है।

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस का ये एप प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर दोनों पर उपलब्ध है। इसे इस्तेमाल करना काफी आसान है। ये एप्लीकेशन 7 मिनट, 14 मिनट और 21 मिनट में बिजली गिरने की संभावना बता देता है। दामिनी एप लगभग 40 किलोमीटर तक क्षेत्रफल की जानकारी देता है। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल होगा की आखिर ये एप बिजली गिरने की जानकारी कैसे मुहैया करवाती है, दरअसल मौसम विभाग इस एप के जरिए कलर कोडिंग अलर्ट सिस्टम, इसरो सैटलाइट इंस्टॉलेशन, और रडार सेंसर के जरिए भी आसमानी बिजली गिरने की संभावना बताती है।