हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा परेशान व्यक्ति क्या करें, दुर्ग जैसी घटनाएं तो होंगी ही

बिलासपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक बार फिर से कानफोडू और जानलेवा आवाज को लेकर नाराजगी जाहिक की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत से कहा कि आपने तो शपथ पत्र देकर सब दुरूस्त करने का आश्वासन दिया था। तब ऐसे हालात क्यों बन रहे हैं। आम आदमी शांति से रहना चाहता है पर ऐसी स्थिति में कैसे रहे। स्वाभाविक है अंबिकापुर और दुर्ग जैसी हृदय विदारक घटनाएं होंगी ही। परेशान व्यक्ति और क्या कर सकता है। कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण की स्थिति पर निरंतर मानिटरिंग करने और कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है।

बता दें, हाईकोर्ट में कानफोडू डीजे मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने दुर्ग की घटना का विशेष तौर पर उल्लेख किया और कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब एक व्यक्ति त्योहार में तेज आवाज में डीजे नहीं बजाने का अनुरोध किया तो उसे इंकार कर दिया गया।

परेशान व्यक्ति घर पहुंचा और आत्महत्या कर लिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बार-बार सामने आ रही थी। छत्तीसगढ़ के नागरिक अपने अधिकारों के प्रति तो जागरूक हैं मगर कर्तव्यों के लिए उनकी कोई जवाबदारी दिखाई नहीं देती है। यह गंभीर बात है। नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन भी उतना ही जरूरी है।

कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि त्योहार को मनाने के नाम पर कुछ लोग नशा करते हैं। नशे की हालत में अमर्यादित व्यवहार भी कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि डीजे इतनी आवाज में बजेगा तो छात्र कैसे पढ़ाई करेंगे। दुर्ग और अंबिकापुर जैसी घटनाएं होती रहेंगी। इन सबकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जब महाधिवक्ता ने दुर्ग की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि समिति के सदस्य ने मृतक को जो धमकी दी थी। उससे वह आहत था। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई भी धकमी दे कानून से बड़ा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि जितनी आवाज में स्पीकर्स और साउंड बाक्स को बजाने की अनुमति है उतनी ही आवाज में डीज बजाने का प्रबंध करें। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता को याद दिलाते हुए कहा कि इसी तरह की बातें और आश्वासन शासन की ओर से आपने शपथ पत्र में दिया है।