सरकारी जमीन को प्लाटिंग कर बेच डाला, 54 अवैध प्लाटों की रजिस्ट्री भी हो गई, कलेक्टर की जांच में बड़ा भंडाफोड़

बिलासपुर। एसडीएम कमेटी की जांच में जिस तरह जमीनों के अवैध खरीद-फरोख्त के खुलासे हो रहे हैं, उससे लगता है भूमाफियाओं ने न्यायधानी को भूमाफियाधानी बना डाला है। आलम यह हो गया कि सरकारी जमीनों की प्लाटिंग कर बेच दी गई। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति न होने के बाद भी बिलासपुर के रजिस्ट्री अधिकारियों ने अवैध प्लाटों की रजिस्ट्री कर दी। भूमाफियाओं ने निजी उपयोग के लिए सरकार से जमीनें ली और उसे भी लोगों को बेच दिया। कलेक्टर अवनीश शरण का कहना है कि फर्जीवाड़ा करने वाले अफसर नपेंगे…रजिस्ट्री शून्य होगी। पुलिस में अपराध भी दर्ज कराया जाएगा।

केस स्टोरी

मौके की तकरीबन ढाई एकड़ जमीन। खुले बाजार में कीमत का अंदाज लगाएं तो करीब तीन से साढ़े तीन करोड़ रुपये। राजस्व अमला और भूमाफियाओं ने मिलकर जमीन को हड़प लिया। नक्शा में राजस्व विभाग के मैदानी अमले ने जरा सी कलम क्या चलाई पलक झपकते सरकारी जमीन प्राइवेट हो गई। कुछ इसी तरह का खेल न्यायधानी में बीते 23 सालों से चल रहा है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद कोई धंधा चला हो या ना हो भूमाफियों के धंधे में दिन दोगुनी और रात चौगुनी बढ़ोतरी की है। राजस्व महकमा को साथ मिलाकर पलक झपके सरकारी जमीन को निजी कराने का खेल शुरू हो गया। कलेक्टर द्वारा बैठाई जांच में यही सब अब खुलकर सामने आने लगा है। जांच कमेटी ने दो एकड़ 13 डिसमील सरकारी जमीन के फर्जीवाड़ा का खुलासा किया है। बिल्डर्स और कालोनाइजर्स ने अवैध प्लाटिंग कर बड़ा खेल किया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में फ्री होल्ड का नाम देकर योजना चलाई थी। फ्री होल्ड योजना से आम आदमी का शुरुआत से ही कोई लेना-देना नहीं रहा है। फ्री होल्ड का लाभ बड़े बिल्डर्स कालोनाइजर्स ने जमकर उठाया। फ्री होल्ड योजना के बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए ही इस योजना को कांग्रेस सरकार ने लांच किया था। नतीजा सामने है। पहली रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है उसमें बड़े बिल्डर्स और कालोनाइजर्स का नाम सामने आया है। इसमें आम आदमी कहीं नजर नहीं आ रहा है|

बिल्डरों ने किया बड़ा खेला

फ्रीहोल्ड के नाम पर राज्य सरकार ने आवासीय प्रायोजन के लिए जो जमीन दी थी दो बिल्डरों ने निजी उपयोग के लिए करोड़ों की जमीन सरकार से कौड़ी के मोल खरीदी और प्लाट काट दिए। आप अंदाजा लगा सकते हैं दो बिल्डरों ने निजी उपयोग के लिए कितनी सरकारी जमीन ली। दो एकड़ 13 डिसमिल सरकारी जमीन। निजी उपयोग के ले ली और भूपेंद्र राव तामस्कर ने राजेश अग्रवाल के साथ मिलकर 54 प्लॉट काट दिए।

जांच रिपोर्ट आने के बाद अब एक सवाल यह उठाया जा रहा है कि क्या निजी उपयोग के लिए दो एकड़ जमीन दी जा सकती है। राज्य सरकार ने एक व्यक्ति को कितनी जमीन देनी है, किस स्तर पर देनी है। नियम बनाए थे। नियमों का राजस्व विभाग के अफसरों ने पालन क्यों नहीं किया। इशारा साफ है, जिसने सरकारी जमीन खरीदी उसने चढ़ावा भी चढ़ाया होगा। दूसरा अहम सवाल यह भी है कि जमीन आवंटन के बाद पंजीयक कार्यालय से रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की गई है। पंजीयक ने यह क्यों नहीं देखा कि निजी उपयोग के लिए दो एकड़ जमीन किस मापदंड के तहत दी जा रही है और क्यों। रजिस्ट्री भी हो गई। सरकारी जमीन को हड़पने के लिए जिले में एक पूरा रैकेट काम कर रहा था। ठीक उसी तर्ज पर जैसे प्रदेश में शराब और कोल लेवी स्कैम को अंजाम दिया गया। संगठित गिरोह की तरह सरकारी जमीन को हड़पने का खेल चला।

लीज बढ़ाने का गुपचुप चला खेल

जांच टीम को यह बात भी पता चली है कि कुदुदंड तुलजा भवानी मंदिर के पीछे 2.13 एकड़ जमीन की लीज तामस्कर के नाम पर आवंटित किया गया था। लीज अवधि 30 मार्च 2015 को समाप्त हो गई थी। तामस्कर के आवेदन पर यह अवधि 31 मार्च 2045 तक के लिए बढ़ा दी गई।

लीज बढ़ने के बाद ऐसे हुआ खेला

लीज की अवधि बढ़ाने में कामयाब होने के बाद तामस्कर ने राजेश अग्रवाल के साथ मिलकर फ्री होल्ड का लाभ उठाकर सरकारी जमीन हड़पने का खेल शुरू हुआ। जमीन का सौदा कर दिया गया। राजेश अग्रवाल और तामस्कर के बीच सौदेबाजी हुई और 13 करोड़ में सौदा तय हो गया। राजेश ने तामस्कर को एक करोड़ बतौर एडवांस चेक के माध्यम से दिया जो एक्सिस बैंक का है। एडवांस देने के बाद सौदे की शेष 12 करोड़ रुपये रजिस्ट्री के दिन देना तय हुआ। दोनों के बीच एग्रीमेंट भी हुआ। राजेश को कॉलोनी डेवलप करने, रोड, नाली, बिजली, पानी और बाउंड्री वॉल की व्यवस्था करनी थी। अवैध प्लॉटिंग होने के कारण विभागों से मंजूरी नहीं मिल सकी।

उप पंजीयक कार्यालय ने किया फर्जीवाड़ा

राजेश अग्रवाल ने नगर निगम की अनुमति और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले आउट पास कराए बिना ही जमीन खरीदी। इस जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में 54 लोगों को बेच भी दी। भू राजस्व संहिता में दी गई व्यवस्था और नियमों पर गौर करें तो अवैध प्लॉटिंग की रजिस्ट्री नहीं होती। अचरज की बात ये कि भू राजस्व संहिता में दिए गए नियमों और प्रावधान को ताक पर रखकर उप पंजीयक ने रजिस्ट्री कर दी। इतना ही एक कदम आगे बढ़ते हुए नामांतरण भी कर दिया।

क्या है जांच कमेटी की रिपोर्ट में

जांच कमेटी ने कलेक्टर अवनीश शरण को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिश भी की है। कमेटी ने रजिस्ट्री शून्य करने के साथ ही नामांतरण निरस्त करने की बात भी कही है। आवासीय प्रयोजन के लिए जमीन लेकर व्यवसायिक उपयोग करने वाले लीजधारक की लीज निरस्त करने की सिफारिश कमेटी ने की है। फर्जीवाड़ा करने वाले भूपेंद्र राव तामस्कर व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने पर जोर दिया है। कमेटी ने जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण करने वाले उप पंजीयक के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा की है। कलेक्टर ने संयुक्त कलेक्टर मनीष साहू, नजूल अधिकारी एसएस दुबे, तहसीलदार शिल्पा भगत, राजस्व निरीक्षक अश्विनी देवांगन व राजेश चंदेल अफसरों की टीम बनाई थी।

जमीन पलटी के खेल में दर्जनों शामिल

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में यह खेल राज्य निर्माण के बाद जो शुरू हुआ इसकी रफ्तार दिनों-दिन बढ़ती ही गई। शहर का ऐसा कोई मोहल्ला नहीं जहां जमीन दलाल नाम का शख्स ना रहता हो। कुछ काम नहीं मिला तो जमीन की दलाली शुरू कर दी। इसमें भी जमीनों की पलटी का खेल। जमीन दलालों के बीच यह शब्द बेहद प्रचलित है। जरुरतमंद से औने-पौने में जमीन का सौदा किया, जरुरत के हिसाब से रुपये देकर एक एग्रीमेंट कराई और भाव का इंतजार करते बैठ गए। जैसे ही ऊंची कीमत मिली झट सौदा किया। इनकी चालाकी देखिए। जिससे सौदा तय करते हैं उससे कीमत अपने हिसाब से लेते हैं और जमीन की रजिस्ट्री भूमि स्वामी से कराते हैं। मतलब साफ है फर्जीवाड़ा में आगे चलकर फंसे तो जमीन मालिक। जमीन पलटी के इस खेल में शहर के हर गली मोहल्ले में ऐसे लोग मिल ही जाएंगे।

रजिस्ट्री रद्द होगी, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई भी

कलेक्टर अवनीश शरण का कहना है कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। सरकारी जमीन को आवासीय प्रयोजन के लिए लेकर व्यवसायिक उपयोग करने और अवैध प्लाटिंग की पुष्टि कमेटी ने कर दी है। भू राजस्व संहिता में दिए गए प्रावधानों के तहत रजिस्ट्री रद्द कर शून्य घोषित की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।