सरकारी जमीन हड़पने के खेल में चौकाने वाला खुलासा: 1 हजार एकड़ सरकारी जमीन का मामला…

बिलासपुर। मैनपाट, छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। देश के अलग-अलग हिस्सों से पर्यटक तो आते ही हैं विदेश सैलानियों की भी यह खास पसंद है। मैनपाट के सरकारी जमीन पर जितनी तीरछी नजर भूमाफियों का है उससे भी कहीं ज्यादा स्थानीय और शासकीय, अर्धशासकीय और निजी दफ्तरों में काम करने वाले मुलाजिमों की भी। मैनपाट में सरकारी जमीन हड़पने के साथ ही शरणार्थियों के नाम पट्टे की जमीन को भी नामांतरण कराने का खेल वर्षों से चल रहा है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान मैनपाट की सरकारी जमीन और शरणार्थियों को मिले जमीन के नामांतरण और बिक्री का खेल जमकर चला। पर्यटन स्थल के शासकीय भूखंडों की जब खोजबीन शुरू हुई तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आने लगी है। शरणार्थियों की जमीन जो अब बेशकीमती हो गई है, खरीदी बिक्री के साथ ही नामांतरण का गुपचुप खेल का राज भी खुलने लगा है। एक पूर्व मंत्री के करीबियों का नाम सामने आने लगा है।

भू माफियाओं और रसूखदारों की देखा-देखी सरगुजा जिले के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति नर्मदापुर मैनपाट के लिपिक मोहन यादव ने तो गजब ही कर दिया। सरकारी जमीन पर पहले कब्जा किया। राजस्व विभाग के अफसरों व पटवारी से मिलकर रिश्तेदारों के नाम से सरकारी जमीन का ऋण पुस्तिका बनवा लिया। ऋण पुस्तिका में सरकारी जमीन पर खेती करना भी बता दिया। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की समिति में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन करा लिया। सरकारी जमीन के एवज में समर्थन मूल्य पर धान बेचना भी शुरू कर दिया।

कलेक्टर सरगुजा एवं उपायुक्त सहकारी संस्थाएं के निर्देश पर क्लर्क मोहन यादव को बर्खास्तग कर दिया गया है। सरकारी जमीन घोटाले में संलिप्तता के साथ ही रिश्तेदारों के नाम सरकारी जमीन हड़पने के आरोप में अब एफआईआर भी किया जाएगा।

ग्राम नर्मदापुर एवं कंडराजा के सरपंच व ग्रामीणों ने कलेक्टर जनदर्शन में सरकारी जमीन को हड़पने की शिकायत की थी। ग्रामीणों ने लिखित शिकायत में मैनपाट और आसपास के तकरीबन 900 एकड़ जमीन पर कब्जा करने और राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर अपने नाम कराने की शिकायत की थी। ग्रामीणों ने यह भी बताया था कि सरकारी जमीन का ऋण पुस्तिका बनवाने के बाद समितियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान भी बेच रहे हैं। सरकारी जमीन की ऋण पुस्तिका दिखाकर बैंक से लोन लेने की शिकायत भी की गई थी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सरगुजा कलेक्टर कलेक्टर विलास भोसकर ने एसडीएम को जांच कराने व रिपोर्ट सौंपने कहा था। एसडीएम ने तहसीलदार की अगुवाई में टीम बनाकर जांच का निर्देश दिया। जांच में नर्मदापुर समिति के लिपिक मोहन यादव व उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर शासकीय भूमि दर्ज होना पाया गया। तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम ने मोहन यादव के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए कलेक्टर को रिपोर्ट सौंप दी थी।