पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा आप लोगों को पर्यावरण की परवाह है भी या नहीं

बिलासपुर| रेलवे की ओर से वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए रेलवे जोन बिलासपुर में डिपो निर्माण किया जाना है। इसके लिए रेलवे ने बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई की है। इस पर हाईकोर्ट ने स्वतः ही संज्ञान लिया है। जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू की। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व बीडी गुरु के बेंच में हुई। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए रेलवे से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब तलब किया। चीफ जस्टिस ने कड़ी टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या रेलवे के पास पेड़ काटने की विशेषज्ञता है। साथ ही यह भी कहा कि आप लोगों को पर्यावरण की चिंता है भी या नहीं।

बता दें, बिलासपुर में कोचिंग डिपो के पास वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो का निर्माण किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डिपो बनाने का निर्णय लिया है। वहां पूरी तरह हरियाली थी। निर्माण के लिए कई सारे पेड़ों की कटाई करनी थी। रेलवे ने वंदे भारत डिपो निर्माण के लिए मई 2024 में वन विभाग से 242 पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी थी।

वन विभाग द्वारा अनुमोदन प्रक्रिया चल रही थी लेकिन अनुमति मिलने से पहले ही रेलवे अधिकारियों ने पेड़ों की शिफ्टिंग के बजाए उनकी कटाई शुरू कर दी। रेलवे ने 242 में से 160 पेड़ों को काट दिया है और 54 पेड़ों को विस्थापित किया गया है व 72 पेड़ अब भी स्थल पर पाए गए। पेड़ों में ज्यादातर बबूल, मुनगा और अन्य प्रजातियों के पेड़ थे।

अनुमति मिलने से पहले ही कर दी कटाई
राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि पेड़ों को काटने के लिए रेलवे ने राज्य शासन के वन विभाग के अधिकारी डीएफओ से अनुमति मांगी थी। वहीं अधिकारी पेड़ों के गणना पत्रक और वृक्ष विदोहन की प्राक्कलन राशि बनाने के लिए रेंजर को निर्देशित कर लेट जारी किया था। लेकिन रेलवे ने अनुमति मिलने के पहले ही पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। इस पर कोर्ट ने रेलवे को दो सप्ताह का समय देते हुए शपथ पत्र के माध्यम से जवाब मांगा है।

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