एम्स के छात्रों को स्टेट कोटे में इंट्री देकर छत्तीसगढ़ के मेडिकल छात्रों के हकों पर डाला डाका, अफसरों की बड़ी साजिश!
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य कोटे की पीसी सीटों पर एम्स से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टरों को एडमिशन दिए जाने का छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन ने विरोध किया है। इस संबंध में फेडरेशन ने स्वास्थ्य शिक्षा आयुक्त को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें अफसरों पर नियमों की गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया है।
डॉक्टर्स फेडरेशन के अनुसार छत्तीसगढ़ मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन रूल्स, 2021 के अनुसार, छत्तीसगढ़ के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में सभी PG सीटों का 50% राज्य कोटा सीटों के रूप में नामित किया गया है। ये सीटें उन छात्रों के लिए हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित और संचालित कॉलेजों, जो राज्य के पंडित दीनदयाल स्मृति चिकित्सा विश्वविद्यालय और आयुष विश्वविद्यालय के अंतर्गत एमबीबीएस पूरा किए है और NEET-PG परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में, छत्तीसगढ़ मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन रूल्स, 2021 के नियम “11 (क)” की गलत व्याख्या की गई थी, जिससे एम्स रायपुर से एमबीबीएस पूरा करने वाले छात्रों को राज्य कोटा में शामिल किया गया था।
राज्य कोटा की कानूनी आधारशिला और Instutional Preference का concept – NEET PG में राज्य कोटा की बुनियाद भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा में दिए गए एक निर्णय पर आधारित है, जिसने Instutional Preference की concept को प्रस्तुत किया था। इसके अनुसार, केवल उन उम्मीदवारों को Instutional Preference (राज्य कोटा) दी जानी चाहिए जिन्होंने उसी विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है। यह निर्णय राज्य कोटा का आधार है और जिन राज्यों में केवल एक मेडिकल विश्वविद्यालय है उन के लिए Instutional Preference, राज्य कोटा के साथ overlap करती है। और छत्तीसगढ़ ऐसा ही एक राज्य है। इसलिए, इस निर्णय के अनुसार राज्य कोटा सीटों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर पंडित दीनदयाल स्मृति चिकित्सा विश्वविद्यालय और आयुष विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले छात्रों को किया जाना चाहिए और अन्य विश्वविद्यालयों के स्नातकों को हमारे विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों के स्नातकों पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।
राज्य कोटा एक प्रकार की Instutional Preference है जो उन छात्रों को दी जाती है जिन्होंने उसी विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है जहां यह कोटा दिया जा रहा है। चूंकि एम्स रायपुर के स्नातक किसी भी राज्य कोटा में उपलब्ध मेडिकल कॉलेज से नहीं पढ़े हैं और न ही उन्होंने किसी विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है जिनके कॉलेज राज्य कोटा में दिए जा रहे हैं, वे पात्र नहीं हैं।
बिहार, एम्स के छात्रों को अपने राज्य प्रबंधित कॉलेजों में राज्य कोटा सीटों का दावा करने की अनुमति नहीं देती हैं। पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि एम्स के छात्र बिहार में राज्य कोटा सीटों के लिए अयोग्य हैं।
उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश में नीट पीजी राज्य कोटा प्रवेश नियमों के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि एम्स रायबरेली/गोरखपुर के Graduates राज्य कोटा सीटों के लिए पात्र नहीं हैं। एम्स के Graduate, Bond duty के तहत ग्रामीण सेवा भी नहीं करतेः छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित और संचालित कॉलेजों, जो पंडित दीनदयाल स्मृति चिकित्सा विश्वविद्यालय और आयुष विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं, से एमबीबीएस पूरा करने वाले छात्र राज्य सरकार के साथ एक बॉन्ड जमा करते हैं ताकि एमबीबीएस पूरा करने के बाद छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा करें, लेकिन एम्स से एमबीबीएस पूरा करने वाले छात्रों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती है। इसलिए एम्स से एमबीबीएस पूरा करने वाले छात्रों को राज्य सरकार द्वारा संचालित कॉलेजों, जो पंडित दीनदयाल स्मृति चिकित्सा विश्वविद्यालय और आयुष विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं, से एमबीबीएस पूरा करने वाले छात्रों के बराबर मानना न केवल अवैध है बल्कि मनमाना भी है। डॉक्टर्स फेडरेशन ने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।