धोखा देने में महारत हासिल कर चुकी चीनी सेना, दीमक की तरह पीएलए को खा गया करप्‍शन

नई दिल्ली । कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के झंडे तले चीन ने धोखा देने में महारत हासिल कर ली है। पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) जब बख्‍तरबंद गाड़‍ियों के काफिले, मिसाइल यूनिट्स की गर्जना और हेलिकॉप्‍टर्स की गड़गड़ाहट के बीच मार्च करती हैं, तब ऐसा लगता है कि यह सेना अजेय है। मगर असल में पीएलए रेगिस्‍तान में नजर आने वाले मिराज की तरह है, जो दिखती कुछ और है, असल में कुछ और है।पीएलए भीतर ही भीतर कमजोर पड़ रही है। 35 साल तक लागू रही वन-चाइल्‍ड पॉलिसी और भ्रष्‍टाचार ने पीएलए को खोखला कर दिया है।
दीमक की तरह पीएलए को खा गया करप्‍शन
साल 1979 में ताकतवर पीएलए को वियतनाम ने धूल चटाई थी।वियतनाम का दावा था कि जब चीन ने आक्रमण किया तब उन्‍होंने पीएलए के 62,500 जवान मारे और 550 गाड़‍ियां तबाह कर डाली थीं। इस शर्मिंदगी के बावजूद,पीएलए ने सुधार नहीं किया। माओ के बाद, गद्दी संभालने वाले शियाओ पिंग के कार्यकाल में भ्रष्‍टाचार किसी दीमक की तरह पीएलए को खोखला करता गया। रियल एस्‍टेट से लेकर बैंकिंग और टेक्‍नोलॉजी तक, पीएलए की दुनिया अब लग्‍जरी है। पाकिस्‍तान सेना के साथ पीएलए की इसकारण इतनी पटती है, क्‍योंकि दोनों सेनाओं को भ्रष्‍टाचार, लग्‍जरी की लत लग चुकी है। 2012 में जब शी जिनफिंग ने सत्‍ता संभाली, तब तक पीएलए की दशा बेहद खराब हो चुकी थी। जिनफिंग ने पीएलए की पूरी चेन ऑफ कमांड को बदलकर 100 से ज्‍यादा जनरल्‍स को निकाल दिया था। इससे उनके इतने दुश्‍मन बने कि सत्‍ता में बने रहने के लिए जिनफिंग को पकड़ मजबूत करनी पड़ी।
पीएलए भ्रष्‍टाचार और घंमढ में आगे है, मगर सीधी लड़ाई से बचती है। 2017 में डोकलाम में यही हुआ था। जब भारत, चीन और भूटान के ट्राई जंक्‍शन पर भारतीय सेना ने पीएलए को दबाना शुरू कर दिया था। अब गलवान में फिर चीन की मिट्टी पलीद हुई है। 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू और उनके जवानों ने पीएलए को पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर कब्‍जा करने से रोक दिया।