पिता या दादा ने बना दी वसीयत, क्या उसे कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं आप, क्या कहता है भारत का कानून
How to Challenge a Will : वसीयत यानी विल ऐसा कानूनी दस्तावेज होता है, जिसके परिवार का मुखिया अपने बाद संपत्ति के बंटवारे के लिए बनाता है| एक वसीयत बनाने का मकसद परिवार के बीच किसी भी विवाद को टालना और अपनी इच्छानुसार परिवार के सदस्यों में संपत्ति को बांटना होता है| लेकिन, कभी-कभार ऐसा भी होता है जब परिवार के कुछ उत्तराधिकारियों को वसीयत स्वीकार नहीं होती| ऐसे में क्या परिवार के सदस्य इस वसीयत को कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं और किन परिस्थितियों में किसी वसीयत को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है|
अभी देश में वसीयत को लेकर एक हाईप्रोफाइल मामला सामने आया है, जिसमें भारत फोर्ज कंपनी के चेयरमैन बाबा कल्याणी की बहन सुगंधा ने अपनी मां की वसीयत को पुणे की कोर्ट में चैलेंज किया है| उनका आरोप है कि उनके दो भाइयों ने मां की वसीयत को प्रभावित किया है, जो साल 2012 और 2022 में बनाई गई थी, जब उनकी मां जिंदा थी| ऐसे में एक आम आदमी के मन में भी यह सवाल उठता है कि क्या वसीयत को चैलेंज किया जा सकता है और अगर कर सकते हैं तो कब| इस आर्टिकल में हम आपके इसी सवाल का सिलसिलेवार ढंग से जवाब देंगे|
कब दे सकते हैं वसीयत को चुनौती
- वसीयत को अगर कानून के सभी नियमों का पालन करते हुए नहीं बनाया गया है और इस पर तारीख नहीं पड़ी है तो इसे चैलेंज किया जा सकता है|
- वसीयत बनाने वाले की उम्र हर हाल में 18 साल से अधिक होनी चाहिए, अगर इससे कम है तो आप चैलेंज कर सकते हैं|
- अगर वसीयत बनाने वाले की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और आप इस बात को साबित कर सकते हैं तो भी वसीयत को चैलेंज किया जा सकता है|
- यदि किसी व्यक्ति ने वसीयत बनाने वाले को दबाव या प्रभाव में रखकर उसे बनवाया है तो भी आप वसीयत को चैलेंज कर सकते हैं|
- वसीयत को अगर धोखे से बनवाया गया है और उस पर सही व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं हैं तो भी आप इसे चुनौती दे सकते हैं|
- वसीयत को अगर 2 बालिग गवाहों की उपस्थिति में नहीं बनाया गया है तो भी इसे कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है|
- सबसे बड़ी बात कि अगर परिवार के किसी सदस्य को ऐसा लगता है कि वसीयत में उसके लिए पर्याप्त हक नहीं हैं तो भी वह इसे चुनौती दे सकता है|
क्या है वसीयत को चुनौती देने की प्रक्रिया
- वसीयत को चुनौती देने के लिए सबसे पहले आप कोर्ट में केस दर्ज करें, जो रजिस्ट्री अधिनियम की धारा 18 के तहत दर्ज किए जाएंगे|
- केस करने के बाद वकालतनामा जारी करना होगा, जो आपके वकील को कोर्ट में आपका मामला पेश करने की इजाजत देता है|
- कोर्ट फीस जमा कीजिए और आपका केस अदालत में स्वीकार किए जाने के बाद कार्यवाही यानी ट्रायल शुरू हो जाएगा|
- कोर्ट की ओर से विरोधी पक्ष को नोटिस जाएगा और केस करने वाले को यह साबित करना होगा कि वसीयत क्यों चैलेंज की जा रही है|
- कोर्ट आपसे वसीयत से जुड़े और आपके दावों से संबंधित दस्तावेज मांगेगी, सुनवाई आपके पक्ष में रही तो पूरी वसीयत या खास हिस्से को अमान्य करार दे दिया जाएगा|
- एक बात का ध्यान रखें कि वसीयत में कोई गड़बड़ी होने पर तत्काल केस दर्ज कराएं, क्योंकि एक बार लागू होने इसे चुनौती देना आसान नहीं होगा|
कौन दे सकता है चुनौती
- वसीयत का विरोध उसमें शामिल कोई भी व्यक्ति कर सकता है या फिर ऐसा व्यक्ति भी जिसका नाम होना चाहिए, लेकिन है नहीं|
- वसीयत बनाने वाले के कोई भी उत्तराधिकारी जिनका हक संपत्ति में होना चाहिए, इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं|
- अगर वसीयत में शामिल व्यक्ति नाबालिग है तो उसकी तरफ से माता-पिता भी इसे चैलेंज कर सकते हैं|
- वसीयतकर्ता अगर अपने दोस्तों या किसी समुदायर अथवा कॉलेज आदि को वसीयत में शामिल करता है, तो ये सभी लाभार्थी कोर्ट में चैलेंज देने का अधिकार रखते हैं|