नए मंत्री के लिए अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव का पलड़ा भारी, इस हफ्ते राजभवन में हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह…

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ताबड़तोड़ दो अधिकारियों की नियुक्तियां करके अपने सचिवालय को मजबूत कर लिया है। उन्होंने एक दिन की आड़ में पहले सुबोध सिंह को अपना प्रमुख सचिव बनाया और उसके अगले दिन सुबह मुकेश बंसल को सिकरेट्री की पोस्टिंग दी। इसके बाद विष्णुदेव सचिवालय बेहद ताकतवर हो गया है।

 

सविचालय को स्ट्रांग करने के बाद मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उनका कैबिनेट भी संख्या दृष्टि से अब कंप्लीट हो जाए। इस समय मंत्रियों के दो पद खाली है। 12 मंत्रियों के कोटे में दो पद खाली का मतलब लगभग 18 फीसदी पद खाली हुआ। और छोटे राज्य में दो मंत्री का पद खाली रहना बड़ी बात होती है। जाहिर है, इससे मंत्रियों का लोड बढ़ जाता है।

मंत्रियों की संख्या कम होने की वजह से मंत्रियों पर ओवर वर्डन है। दोनों डिप्टी सीएम विभागों से लदे हुए हैं। अरूण साव के पास पीडब्लूडी, नगरीय प्रशासन और पीएचई है तो विजय शर्मा के पास गृह, जेल के साथ पंचायत और तकनीकी शिक्षा। जाहिर है, इससे क्षमता प्रभावित होगी। पीडब्लूडी और नगरीय प्रशासन अपने आप में दो बहुत बड़े विभाग हैं|

नए मंत्री बनाने के चक्कर में खुद मुख्यमंत्री के पास स्कूल शिक्षा जैसे विभाग आ गया है। दरअसल, बृजमोहन अग्रवाल के पास यह विभाग था। मगर सांसद बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया तो मुख्यमंत्री ने इसे अपने पास इसलिए रखा कि नए मंत्री बनने पर उन्हें दिया जाएगा। मगर मंत्रिमंडल का विस्तार लंबा खींच गया।

यही नहीं, मुख्यमंत्री के पास आबकारी और ट्रांसपोर्ट जैसे विभाग भी है। आमतौर पर ये विभाग मुख्यमंत्री के पास नहीं होते। क्योंकि, इसमें विवादित चीजें ज्यादा होती हैं। मुख्यमंत्री के नजदीकी लोगों का कहना है कि ये दोनों विभाग नए मंत्रियों के आते तक मुख्यमंत्री के टेम्पोरेरी तौर पर है। नए मंत्रियों के शपथ के बाद वे इसे शिफ्थ कर देंगे।

चूकि सरकार का साल भर का वक्त निकल गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय चाहते हैं कि कामकाज को गति देने अब मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाना चाहिए। ताकि कुछ और अच्छे हैंड उन्हें मिल जाएं। जाहिर है, मंत्री अगर अच्छे हों तो सरकार की आधी मुश्किलें कम हो जाती है।

विष्णुदेव साय कैबिनेट की स्थिति यह है कि दो-तीन को छोड़ सारे मंत्री अंडर टेबल काम में लगे हैं। इससे सरकार का कामकाज परिलक्षित नहीं हो पा रहा। मंत्री की अक्षमता से सरकार के आउटकम पर असर पड़ रहा है।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद विष्णुदेव कैबिनेट का विस्तार होना था। मगर तब संगठन का एक धड़ा इस पक्ष में था कि नगरीय निकाय और पंचायत चुना के बाद नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाए। इससे मंत्री बनने की आस ें स्थानीय चुनाव में सभी विधायक लग कर काम करेंगे।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के जस्ट बाद प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन चाहते थे कि मंत्रियों का शपथ और नेताओं को लाल बत्ती पहले दे दिया जाए, जिससे कि कैडर में उत्साह आ जाए। मगर किन्हीं कारणों से ऐसा हो नहीं पाया। मगर अब संगठन तैयार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाए। खुद प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन दो दिन छत्तीसगढ़ में रहकर कई दौर की मीटिंग कर चुके हैं। बताते हैं, नीतीन नबीन ने भी केंद्र को अपनी रिपोर्ट दी है कि किन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।

असल में, विधानसभा चुनाव-2023 के दौरान नीतीन नबीन पार्टी के सह प्रभारी थे। चुनाव में उन्होंने इतना परिश्रम किया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा, बीजेपी नेतृत्व ने उनके प्रदर्शन से खुश होकर ओम माथुर जैसे दिग्गज नेता की जगह नीतीन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया।

कहने का आशय यह है कि विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीन नबीन छत्तीसगढ़ का चप्पा-चप्पा छान मारे हैं। उन्हें यह भी पता होता था कि किस विधानसभा में कितना झंडा पहुंचा है और कहां कितना बैनर पहुंचवाना है। उन्हें छत्तीसग़ की जातीय समीकरण का भी बखूबी ज्ञान हो गया है। इसलिए समझा जाता है कि मंत्रिमंडल विस्तार में नीतीन नबीन की राय को पार्टी अहमियत देगी।

छत्तीसगढ़ में मंत्री के दो पद रिक्त है। एक प्रारंभ से ही रिक्त रखा गया था। और दूसरा जून में बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुआ। दो पदों के लिए आधा दर्जन विधायकों के नाम चर्चाओं में हैं। इनमें अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, किरण सिंहदेव, गजेंद्र यादव प्रमुख हैं। वैसे दावा तो रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा का खेमा भी कर रहा है। मगर इनमें दो नामों का पलड़ा सबसे भारी प्रतीत हो रहा है। पहला अमर अग्रवाल और दूसरा गजेंद्र यादव का।

हांलाकि, अभी पिक्कर क्लियर नहीं हुआ है कि किस शपथ के लिए राजभवन से बुलावा आएगा। मगर सियासी गलियारों में जैसी कि चर्चाएं हैं…अमर अग्रवाल को अगर शपथ लेने के लिए चुना जाएगा तो उसका आधार काम होगा। गरिमामय व्यक्तित्व के साथ ही वे रिजल्ट देने वाले मंत्री माने जाते हैं। अमर बड़े नेताओं के भी इसलिए पंसद होंगे कि वे सियासी गुणाभाग में नहीं रहते। उनकी पहचान पालीटिशियान से अधिक टेक्नोक्रेट मंत्री की है, जो सिस्टम में काम करता है। नाहक हस्तक्षेप न करने की वजह से ब्यूरोक्रेसी भी अमर को पसंद करती है। 14 साल से अधिक समय तक मंत्री रहने के बाद भी अमर पर कभी ट्रांसफर, पोस्टिंग में कभी उंगलिया नहीं उठी। छत्तीसगढ़ की शराब पॉलिसी उन्हीं की बनाई है, जिसमें शराब ठेकेदारों को बाहर करते हुए उन्होंने खुद ही शराब खरीदने का फैसला किया। इससे पहले साल में ही सरकार के खजाने में चार हजार करोड़ का राजस्व बढ़ गया था।

दूसरा नाम दुर्ग विधानसभा से अरुण यादव को हराने वाले गजेंद्र यादव का है। गजेंद्र आरएसएस के छत्तीसगढ़ प्रमुख रहे बिसराराम यादव के बेटे हैं। एक तो संघ की उनकी पृष्ठभूमि है। इससे संघ भी खुश होगा। दूसरा, विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां समझ चुकी है कि अब यादवों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता…वोट बैंक उनका ठीकठाक है। सो, गजेंद्र का पलड़ा जातीय दृष्टिकोण से भारी नजर आ रहा है।

बहरहाल, नाम किसका फायनल होगा, हो सकता हे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को दिल्ली में कोई नामों का लिफाफा आज मिल जाए। मुख्यमंत्री इंवेस्टर्स मीट के सिलसिले में आज दिल्ली में है। फिलहाल, जब तक राजभवन से शपथ का बुलावा नहीं आ जाएगा, तब तक नामों की अटकलें चलती रहेंगी।

नए मंत्रियों की इंट्री के साथ दो-एक मंत्रियों की छंटनी की भी बड़ी चर्चा है। हालांकि, पुअर पारफार्मेंस वाले मंत्रियों की गिनती बड़ी हो जाएगी। मगर सत्ता के गलियारों में एकाध मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की भी बातें हो रही हैं। यद्यपि एक-दो मंत्री को ड्रॉप भी किया गया तो शपथ दो ही मंत्री की होगी। मंत्रियों को ड्रॉप करने से खाली जगह को वैकेंट रखा जाएगा, ताकि किसी नए मंत्री को अच्छे काम के लिए ईनाम स्वरूप दिया जा सके। हालांकि, सरकार का एक वर्ग यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि किसी मंत्री को हटाया जाएगा। इस प़क्ष की दलील है कि नए मंत्री हैं, उन्हें कुछ वक्त और देना चाहिए। ऐसे में, मंत्रियों को ड्रॉप करना अभी पाईपलाइन में बताया जा रहा।