BMW और मर्सिडीज वाले शिक्षकों के इस्तीफे की लगी झड़ी, 2 और शिक्षकों ने दिया त्यागपत्र….
रायपुर। नौकरी में रहते हर्बल लाईफ का गैर कानूनी काम करके लाखों के आसामी बन चुके व्याख्याता और प्राईमरी स्कूल का हेड मास्टर के इस्तीफे की खबर अभी चल रही थी कि छत्तीसगढ़ में इसी तरह के दो और मामले आ गए हैं। दोनों शिक्षकों ने अफसरों को नौकरी से इस्तीफा सौंप दिया है।
दोनों शिक्षकों की इस्तीफे की भाषा हेड मास्टर ज्ञान सिंह की तरह है। दोनों ने स्कूल को चिड़ियाघर बताया है और लिखा है कि लंबी नौकरी में उनके परिवार का जीवन स्तर नहीं उठ सका…अब वे नौकर की बजाए मालिक माइंड सेट से जीना चाहते हैं।
शिक्षकों के इस्तीफे की भाषा से लगता है कि एक खास रैकेट द्वारा नौकरी छोड़ने बरगलाया जा रहा है। यह काम उनके गुरू शशि बैरागी कर रहा है, जो 2021 में नौकरी छोड़ा और तीन साल में केटा कार से लेकर बीएमडब्लू और मर्सिडीज कार खरीदने का फेसबुक पेज पर हर्बल लाइफ में बेशुमार कमाई की ब्रांडिंग कर रहा है।
हेड मास्टर ज्ञान सिंह के बीएमडब्लू खरीदने पर भी शशि बैरागी ने फेसबुक पर फोटो डाल इशारे में सभी शिक्षकों को हर्बल लाइफ का काम करने मोटिवेट किया था। राधवेंद्र पैकरा के बीएमडब्लू खरीदने पर भी लिखा है कि ये सब आपके हार्ड वर्क और डेडिकेशन से संभव हुआ…यदि आपने सोचने और सपना देखने का हिम्मत नहीं किया होता तो ये बिल्कुल संभव नहीं होता…आज लोग सपना नहीं देखना चाहते है तो लोग मजाक बनाते हैं…अब आपको तय करना है कि अपनी सुनना है या लोगों की। इसका आशय यह है कि नौकरी छोड़, हर्बल प्रोडक्ट का काम करो।
व्याख्याता ने छोड़ी नौकरी
सारंगढ़ के बरमकेला विकाखंड के बैंगीनडीह हायर सेकेंड्री स्कूल के हिन्दी व्याख्याता रघुराम पैकरा ने ज्वाइंट डायरेक्टर को 7 जनवरी 2025 को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है कि टाईम फ्री, मनी फ्रीडम लाइफ और बॉस फ्री लाइफ होने के लिए मैं चिड़ियाघर से आजाद होना चाहता हूं। बता दें, रघुराम पैकरा ने नौकरी छोड़ने से पहले बीएमडब्लू कार खरीद लिया था।
जीपीएम जिले के मरवाही ब्लॉक के घुरदेवापारा प्राइमरी स्कूल के 30 हजार सेलरी पाने वाले सहायक शिक्षक सुनील पटेल की कहानी तो और दिलचस्प है। ये कई साल तक स्कूल से गायब रहा। कुछ साल तक गांव के एक युवक को दो हजार देकर अपनी जगह स्कूल भेजता रहा, बाद में नो वर्क, नो पेमेंट पर दो साल तक काम करता रहा।
ग्रामीणों ने जब इसका मीडिया में आकर विरोध किया तो 27 दिसंबर 2024 को मिठाई का डिब्बा के साथ मरवाही के बीईओ को इस्तीफा सौंप आया। सुनील पटेल ने भी यही लिखा…नौकर माइंड सेट से काम नहीं करना चाहता। जबकि इस्तीफा देने से पहले उसने 35 लाख की हैरियर कार खरीद लिया था। उसकी पत्नी भी सहायक शिक्षिका है और वह भी स्कूल से गायब रहकर पति के हर्बल प्रोडक्ट के धंधे में हाथ बंटाती है।
बड़ी साजिश
छत्तीसगढ़ में शिक्षकों और कर्मचारियों को बरगलाकर हर्बल प्रोडक्ट के धंधे में झांकने का काम किया जा रहा है। हजारों की संख्या में शिक्षक और सरकारी कर्मचारियों को इस धंधे में जोड़ लिया गया है। मास्टर माइंड द्वारा कमाए हुए पैसे से अचल संपत्ति की बजाए महंगी गाड़ियां खरीदवा दी जाती है ताकि दूसरे लोग इसे देखकर झांसे में आ जाए। शशि बैरागी उनकी कार वाली फोटो सोशल मीडिया में अपलोड कर बताता है कि देखिए इनकी जिंदगी कैसे बदल गई।
सरकारी नौकरी का त्यागपत्र
आधुनिक युग में सरकारी नौकरी सामाज में प्रतिष्ठा की बात होती है। उस पर शिक्षक की नौकरी तो और भी सम्मानित माना जाता है। मगर छत्तीसगढ़ के हेडमास्टर ज्ञान सिंह ध्रुव ने शिक्षक की नौकरी और स्कूल ही नहीं बल्कि प्रदेश के चार लाख कर्मचारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।
अपने इस्तीफे में उसने लिखा कि 20 साल के शिक्षक की नौकरी में मेरे परिवार का लेवल वही का वही है, इसलिए मैं अब नौकर माइंडसेट से नहीं, मालिक माइंडसेट से जीना चाहता हूं। यही नहीं, उसने स्कूल को चिड़ियाघर बताते हुए लिखा कि वह अब इससे बाहर निकलना चाहता है।
जबकि, न्यूज ने उसकी कलई खोल दी। उसके सोशल मीडिया पेज से पता चला कि खुद का 20 साल से सरकारी नौकर बताने वाला ज्ञान सिंह नौकरी में रहते हुए 40 लाख की बीएमडब्लू कार खरीद ली है। पिछले दिवाली में उसने कार की बुकिंग की। और अब कार खरीदकर उसे फेसबुक पर अपलोड किया है।
पत्नी शिक्षिका
शिक्षक की नौकरी को नौकर बताने वाले ज्ञान सिंह की पत्नी अभी भी शिक्षिका की नौकरी कर रही है। इसके बाद भी इस्तीफे में ऐसी ओछी कमेंट लिखते हुए जरा सी भी ध्यान नहीं आया कि चार लाख शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ उसकी पत्नी भी सरकारी नौकरी में है। जाहिर है, धन का अहंकार मति भ्रष्ट कर देता है।
केंद्रीय मंत्री का पीए
नौकरी से त्यागपत्र देने वाला ज्ञान सिंह पूर्व संसदीय सचिव तोखन साहू का पीए रह चुका है। तोखन अब केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। तोखन 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे, उसमें भी लोगों का कहना है कि तोखन के पीए रहते उसने लोरमी इलाके के लोगों को नाराज कर दिया था।
लंबे समय से अटैचमेंट में
ज्ञान सिंह लंबे समय से अटैचमेंट में रहा है। लोरमी के प्रायमरी स्कूल परसवारा में उसने कुछ ही दिन काम किया। बाद में तीन-पांच करके बीईओ ऑफिस में अटैचमेंट करा लिया। फिर संसदीय सचिव का पीए बन गया। याने जो स्कूल में पढ़ाया नहीं, वह स्कूल और शिक्षकों का मजाक उड़ रहा है।
शिक्षकों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के परसवारा प्रायमरी स्कूल के हेड मास्टर ने जो पत्र लिखा, वह बेहद आपत्तिजनक था। शिक्षक बिरादरी इसे शिक्षकों का अपमान बता रहे हैं।
शिक्षकों ने कहा, धनबइहा
हेडमास्टर की त्यागपत्र की अमर्यादित भाषा ने शिक्षकों को गुस्से में भर दिया है। शिक्षकों ने सोशल मीडिया में लिखा है कि इंर्मानदारी से काम करे, वह नौकर और जो बच्चों के भविष्य के साथ मजाक करें…कर्तव्यों के प्रति निष्क्रिय रहे, साइड बिजनेस करे, उसका प्रचार-प्रसार करे, वह मालिक। खिलखिलाते बच्चों का स्कूल चि़ड़याघर और हमारे बच्चे पशु-पक्षी। छत्तीसगढ़ी में ऐस लोगों को धनबइहा कहा जाता है।
शिक्षकों ने हेड मास्टर की भाषा पर सख्त आपत्ति जताई है। एक तो उसने शिक्षा विभाग और पूरे शिक्षकें को कलंकित कर दिया। छत्तीसगढ़ में करीब पौने दो लाख शिक्षक हैं…तो क्या वे सभी नौकर हुए। फिर स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है…उसी स्कूल से शिक्षकों को समाज में अलग मान-सम्मान मिलता है…उसे हेड मास्टर चिड़ियाघर बता रहा है।
कई शिक्षकों ने हेड मास्टर ज्ञान सिंह के खिलाफ शिक्षा सचिव से कार्रवाई की की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब नौकरी में रहते हुए 40 लाख का बीएमडब्लू खरीद लिया था, तब अपने को नौकर बता अपने शिक्षक साथियों पर वह तंज कस रहा है।
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षक पढ़ाई-लिखाई को तिलांजलि देकर हर्बल लाइफ का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सबसे पहले इसकी शुरूआत शशि कुमार बैरागी ने की। बैरागी इस धंधे से इतना पैसा कमा किलया कि उसने 2021 में स्कूल की नौकरी छोड़ दी। अपने फेसबुक पेज से वह बाकी शिक्षकों को ऐसा प्रोत्साहित कर रहा कि दूसरे शिक्षक भी झांसे में आते चले जा रहे हैं।
बैरागी ने तीन साल में क्रेटा, बीएमडब्लू से अब मर्सिडीज कार ले ली है। उसका फेसबुक पेज विदेश यात्राओं से अटा पड़ा है। विदेशों की उसकी मौज-मस्ती वाली जिंदगी देखकर कई शिक्षकों को लग रहा कि हर्बल लाइफ का काम ज्यादा बेटर है। इसका नतीजा हुआ कि छत्तीसगढ़ में शिक्षक लगातार हर्बल लाइफ के कारोबार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। कई शिक्षकों ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर बैरागी के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग किए हैं।